22 साल पहले अटल जी आए थे अस्थियां लेकर, आज उनकी अस्थियां उसी जगह हुई विसर्जित

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राजनीति के भीष्म पितामह अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियां 19 अगस्त को हरिद्वार में हर की पौड़ी पर ठीक उसी जगह गंगा जी मे विसर्जित की गई जंहा पर करीब 22-23 साल पहले अटल जी अपनी दत्तक पुत्री नमिता के पिता ब्रज मोहन नाथ कौल की अस्थियां विसर्जित करने के लिए आये थे।
ब्रज मोहन नाथ कौल का अमेरिका में निधन हो गया था और उनकी अस्थियां गंगा में विसर्जित की गई थी। कौल का वाजपेयी के जीवन मे क्या महत्व था इसका पता इसी से चलता है कि तब अटल जी बैंगलोर में चल रही भाजपा की तीन दिवसीय अति महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन ही बैठक को बीच मे छोड़ कर उनकी अस्थियो के साथ हरिद्वार आये थे। अटल जी ने राजनीति हो या सावर्जनिक जीवन मे जो आदर्श दुनिया के सामने रखे उनकी मिसाल देश मे दूसरी कोई नही मिलती है। अटल जी के लिए संबंध और रिश्ते बहुत मायने रखते थे और उंन्होने जीवन भर रिश्तों की मर्यादा बनाये भी रखी और निभाई भी। अटल जी जीवन भर कुंवारे रहे मगर उंन्होने अपने कॉलेज के दिनों से ही सहपाठी रही राजकुमारी कौल के साथ जीवन भर दोस्ती का ऐसा रिश्ता निभाया जिसका कोई दूसरा उदाहरण नही है।

प्रधानमंत्री बनने से पहले अटल जी किसकी अस्थियां लेकर आये थे हरिद्वार

अटल बिहारी वाजपेयी तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे । साल 1996 में पहली बार वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने थे। उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ राजनीतिक गठबंधन को लेकर चर्चाएं चल रही थी। अटल जी गठबंधन के पक्ष में थे। बसपा के साथ गठबंधन को लेकर बंगलोर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में महत्वपूर्ण चर्चा होनी थी एयर बसपा के साथ गठबंधन हो या नही इसे लेकर प्रस्ताव पर मुहर लगानी थी। बंगलोर अधिवेशन के दूसरे दिन ही अटल जी अचानक ही हरिद्वार आ गए। दरअसल अटल जी अपने खास पारिवारिक मित्र ब्रज मोहन नाथ कौल की अस्थियां लेकर हरिद्वार आये थे। ब्रज मोहन नाथ कौल अटल जी की सहपाठी और दोस्त राजकुमारी कौल के पति और अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के पिता थे। अविवाहित अटल जी के लिए तो यही उनका परिवार था। ब्रज मोहन जी अपनी छोटी बेटी नम्रता के पास इलाज के लिए अमेरिका गए हुए थे और वंही उनकी मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के कुछ दिनों पहले ही वाजपेयी जी अमेरिका उनसे मिलने गए थे। मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां हरिद्वार लाई गई और वाजपेयी जी उनकी अस्थियों के साथ अधिवेशन छोड़ कर साथ आये थे।

अटल जी के ऐसे समय में हरिद्वार आने की खबर के चलते पत्रकार हर की पौड़ी पंहुचे और अस्थि विसर्जन के बाद अटल जी से कुछ राजनीतिक मुद्दों पर बात करने का निवेदन किया। अटल जी ने कुछ सेकेंड सोचा और हमे गंगा सभा के दफ्तर में चलने को बोला। यहां उन्होने बसपा के साथ गठबंधन सहित कुछ अन्य विषयों पर महत्वपूर्ण बातें कही। इसके बाद उन्होंने अचानक ही एक पत्रकार की डायरी ली और उस पर कुछ लिखने लगे।

डायरी में उंन्होने अपने अधिवेशन बीच मे छोड़कर आने का कारण लिखा था कि की वह किस लिए हरिद्वार आये है। ये अटल जी ने अपने हाथ से लिखकर हमे दिया था।

क्या रिश्ता था ब्रज मोहन जी के साथ अटल जी का

अटल जी ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में ( अब लक्ष्मी बाई कॉलेज ) में पढ़ते थे जंहा उनकी सहपाठी थी राजकुमारी। वह उनकी अच्छी दोस्त भी थी। बाद में राजकुमारी का विवाह रामजस कॉलेज में दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर ब्रज मोहन नाथ कौल के साथ हो गया था। मगर उनके अटल जी के साथ पारिवारिक रिश्ते वैसे ही बने हुए थे। राजकुमारी और अटल जी के पारिवारिक संबंध 40 वर्षों से भी अधिक तक रहे है। अटल जी काफी समय ब्रज मोहन जी के रामजस कॉलेज परिसर स्थित मकान में साथ ही रहे। प्रधानमंत्री बनने के बाद ब्रज मोहन और राजकुमारी अपनी बेटियों के साथ प्रधानमंत्री आवास में ही साथ रहने लगे। ब्रज मोहन जी की मृत्यु के बाद राजकुमारी और उनकी बेटियों ने ही अटल जी की जीवन भर सेवा की। 2014 में राजकुमारी की मृत्यु हो गई । उसके बाद से अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता ही अटल जी की सेवा करती रही।