आपः टिकट बांटने में आगे, पर अनजान चेहरों से मुश्किल

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अजय कोठियाल

उत्तराखंड में इस बार बड़ी उम्मीदों से चुनावी ताल ठोक रही आम आदमी पार्टी (आप) टिकट बांटने के मामले में आगे निकल गई है। मगर चुनाव के मैदान में जिन चेहरों को पार्टी ने आगे किया है, उसमें कर्नल अजय कोठियाल को छोड़कर बाकी सभी बहुत नामचीन नहीं है। ऐसे में सवाल ये ही है कि चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार नतीजों को किस हद तक प्रभावित कर पाएंगे।

आम आदमी पार्टी ने अभी तक करीब 70 फीसदी टिकट बांट दिए हैं। सिर्फ उत्तराखंड क्रांति दल ही आप की तरह काफी टिकट बांट चुका है। भाजपा और कांग्रेस में टिकटों के लिए माथापच्ची, जोर आजमाइश, सिर फुटव्वल सब कुछ चल रहा है। दोनों ही दलों ने अभी तक एक भी टिकट नहीं बांटे हैं। इन स्थितियों के बीच आप की बात करें, तो पार्टी पहली बार उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में हिस्सा ले रही है। सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने का पार्टी ने फैसला किया है।

केदारनाथ पुनर्निर्माण अभियान के नायक रहे निम के पूर्व प्राचार्य कर्नल अजय कोठियाल को आप ने अपना सीएम कैंडिटेट घोषित किया है। कर्नल अजय कोठियाल उस गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके साथ यह मिथक जुड़ा है कि इस सीट से जिस पार्टी का उम्मीदवार जीतता है, उसी की सरकार प्रदेश में बनती है। कोठियाल को सभी पहचानते हैं, लेकिन बाकी उम्मीदवारों में कोई ऐसा नहीं है, जिसकी उत्तराखंड स्तर पर पहचान हो। क्षेत्र विशेष में वह किस कदर प्रभाव डालते हैं, इसका पता आने वाले दिनों में चलना है।

दरअसल, तुलना आप के उन उम्मीदवारों से हो रही है, जिन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने आगे किया था। तब हरिद्वार सीट से देश की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था। नैनीताल सीट पर जनकवि बल्ली सिंह चीमा ने आप की झाडू चलाने की कोशिश की थी। इसी तरह, आपातकालीन सेवा 108 को उत्तराखंड में शुरू करने वाले अनूप नौटियाल को टिहरी सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया था। इस चुनाव में आप को सफलता नहीं मिली थी, लेकिन उसके प्रत्याशी चयन की प्रशंसा हुई थी।

दरअसल, यह माना जा रहा है कि भले ही सरकार बनाने का आप दावा कर रही हो, लेकिन अंदरखाने उसकी कोशिश ये ही है कि वह कुछ एक सीट किसी तरह जीत ले। इसके अलावा, उसका वोट प्रतिशत बढ़ जाए, ताकि रीजनल से नेशनल पार्टी बनने की उसकी राह आसान हो सके। आप को उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव में वोटर किस तरह से लेता है, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। जीत-हार के समीकरण उसकी मौजूदगी से प्रभावित तो जरूर होंगे।