मसूरी की सड़कों पर पैदल चलते हुए आपको बहुत से छोटे-बड़े कुत्ते नज़र आ जाते हैं। इन कुत्तों की हालत ऐसी होती है कि इनको देखते ही लोगों का दिल भर जाता है।इन कुत्तों में ज्यादातर बीमार, किसी का पैर टूटे, किसी के कान या गले पर घाव, किसी को खुजली की समस्या तो कोई बिना खाने के बिल्कुल मरने की कगार पर है।इनको इंतजार है या किसी ऐसे का जो इनको इस बुरी हालत से बचा सके।
इन सड़क पर बैठे कुत्तों में से बहुत सारे बुरी मौत का शिकार हो जाते है, कुछ को आते जाते लोग मारते रहते हैं, कुछ को उनकी हालत देखकर ज़हर देकर मार दिया जाता है,कुछ यह सब सहने के बाद भी बच जाते हैं। ऐसे ही कुछ झुंड बनाकर किसी मौहल्ले या चौक को अपना घर बना लेते हैं और रहने लगते है।लेकिन इन जैसे इन कुत्तों को इंसानों से खतरा है वैसे ही आए-दिन कुत्तों द्वारा किसी बच्चे या बड़े पर हमला करने की खबर आ ही जाती है।
डॉ. राजेश पांडे,कार्यक्रम प्रबंधक, उत्तराखंड एबीसी-एआरवी परियोजनाऔर एचएसआई-इंडिया एबीसीएच परियोजना उत्तराखंड के प्रमुख हमें बताते हैं कि, “2016 में ह्रयूमन सोसाइटी इंटरनेशनल-इंडिया (एचएसआई) द्वारा किए गए सर्वे में यह पाया गया कि मसूरी की सड़कों पर घूमने वाले हजारों में है। दो साल बाद यह संख्या काफी बढ़ गई है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि अब उनके पास कोई देखभाल करने के लिए है।“
डॉ ए.जोशी, संयुक्त निदेशक पशु कल्याण, हमें बताते है कि “योजना, एनिमल बर्थ कंट्रोल- एंटी रेबीज टीकाकरण कार्यक्रम में तीन स्टेक होल्डर साथ आये है। एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ इनवारमेंट एंड फॉरेस्ट एंड क्लाईमेट चेंज जीओआई, अर्बन डवलेपमेंट डिर्पाटमेंट, उत्तराखंड राज्य और मसूरी नगर निगम एक साथ आए हैं। मसूरी के बाहरी इलाके और धनोल्टी बाई-पास रोड पर बने इस अत्याधुनिक एनिमल बर्थ कंट्रोल हॉस्पिटल के लिए ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल को एक्सपर्ट प्रोग्राम इम्पलीमेंटेशन आर्गनाइजेशन के रूप में जिम्मेदारी सौपी है।”
उत्तराखंड हाई कोर्ट और भारत के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में एनिमल बर्थ कंट्रोल (कुत्तों) नियम, 2001 के अनुसार बनाया गया है। ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल- भारत को यूडी निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय बोली-प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया था और मसूरी, नैनीताल और देहरादून शहरी स्थानीय निकायों के लिए तैनात किया गया है।
दो वेटनरी डॉक्टर के साथ आठ से दस सदस्यों के एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मचारियों की टीम, 24×7 कॉल पर उपलब्ध होंगे। 68 पिंजरों से लैस इस अस्पताल में एक ऑपरेटिंग थियेटर, स्टाफ रूम, स्टोर रूम और आधुनिक रसोईघर ने मसूरी के स्ट्रीट डॉग की उचित देखभाल करने का यह काम अपने हाथों में लिया है।
हाल ही में, जाल या कुत्ते वैन का उपयोग किए बिना आठ स्ट्रीट डॉग को उठाया गया, और अस्पताल ले आया गया, “सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण इन कुत्तों को स्टेरलाईज किया गया। डॉ पांडे ने बताया कि, “अगले चार दिनों तक उन्हें यहां रखा जाता है, उन्हें एंटी-रेबीज शॉट, डी-वर्म, मल्टी-विटामिन और त्वचा देखभाल प्रक्रियाएं दी जाती हैं और उनके खुले घावों का इलाज किया जाता है।”
यह सभी व्यवस्था देखकर डॉग लवर के मन में एक खुशी तो होती है कि उनके चार पैर वाले दोस्तों के लिए कुछ तो है जहां उनका इलाज हो सकता है और उन्हें भी एक अच्छी जिंदगी मिल सकती है।