आचार्य बालकिशन ने पहाड़ी किचन में भोजन किया

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पतंजलि के आचार्य बालकिशन और उनके साथ 250 स्वामियों ने ‘पहाड़ी किचन’ में दिन का भोजन किया । सुबह 5:30 बजे यह दल केदारनाथ से सोनप्रयाग के लिए रवाना हुआ था और इनका पहला दल 9:30 बजे सोनप्रयाग के ‘पहाड़ी किचन’ पहुंचा ।

‘पहाड़ी किचन’ में आज का खाना तैयार था जिसमे मूली का थिचवानी, कंडाली का साग, मंडुवे की पूरी और रोटी, गैथ का फ़ाणा, ककड़ी का रायता, झंगोरे की खीर, चावल और सलाद था, जलपान गृह में अरसे, रोटने, दाल के पकोड़े, चटनी और चाय थी ।

आचार्य बालकिशन 12 बजे के लगभग ‘पहाड़ी किचन’ सोनप्रयाग पहुँचे उन्होंने सभी खाने का स्वाद चखा, जिसमे से उन्होंने अरसे, रोटने, दाल के पकोड़े, चटनी और गढ़वाली पिसा हुआ नमक को साथ मे ले जाने को कहा, एक रिंगाल की छोटी कंडी में हमने उन्हें ये कलाऊ के रूप में भेंट किया ।

केदारनाथ से पहले आने वाले पड़ाव, सोनप्रयाग एक ऐसा पड़ाव है जहां सभी छोटी गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था है और यहां से लोग शटलर के माध्यम से गौरीकुंड जाते हैं। बीते 24 मई से पहाड़ी किचन की शुरुआत हुई और जैसा कि नाम से ही पता चल रहा इस रेस्टोरेंट में पहाड़ी खाने की लगभग हर वेरायटी मिल रही है। यह किचन जहां पहाड़ी लोगो को पसंद आ रहा है वहीं दूसरे राज्य के लोगों को भी यहां पर ऑथेंटिक पहाड़ी खाना चखने का मौका मिल रहा है।