फिल्म सौदागर से बॉलीवुड में एंट्री कर सभी को इलू-इलू का मतलब सिखाने वाली मनीषा ने जहां अपनी पहली ही फिल्म से कामयाबी का स्वाद चखा तो वहीं वक्त के झटकों से अपनी जिंदगी को बिखरते हुए भी देखा। एक समय मनीषा की जिंदगी ऐसी उलझी कि शराब और ड्रग्स की पनाह में उन्हें सुकून मिलने लगा था। कैंसर से लड़ते हुए उन्होंने जिंदगी का सबसे बुरा वक्त भी देखा, लेकिन इस जंग में भी फतह हासिल की।
अपनी अदाकारी और खूबसूरत मुस्कान से कई दिलों पर राज कर चुकीं फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला अपनी जिंदगी में आये कई घने अंधेरों को पार कर अब रोशनी में पहुंच चुकी हैं। अब वो मनीषा पहले वाली मनीषा नहीं रहीं, वो बदल गई हैं। अब उनकी बातों में हिम्मत है, जिंदगी जीने का नजरिया और अनुभव है। इन दिनों मनीषा कोइराला हरिद्वार आई हुई हैं। यहां वह अपने आध्यात्मिक गुरु पायलट बाबा के पांच दिन के अनुष्ठान के लिए पहुंची हैं।
बातचीत में मनीषा कोइराला ने बताया कि अगर वह आज जीवित हैं तो उसमें सबसे बड़ी वजह आध्यात्मिक शक्ति की है। जब वह कैंसर से लड़ रही थी तो उनका साथ दवाइयों के साथ-साथ धर्म और आध्यात्म ने दिया। इसी कारण आज वह दोबारा से जिंदगी की राह पर लौट पाई हैं। मनीषा को धर्म से काफी लगाव है और वह कोशिश करती हैं कि भगवान की शरण में ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं। उन्होंने बताया कि वैसे तो जीवन में मृत्यु सुनिश्चित है, लेकिन आध्यात्म हमें जीने की अच्छी तरह से राह जरूर दिखा देता है।
मनीषा ने कहा कि जल्द ही उनकी बॉलीवुड में अच्छी वापसी हो रही है और वह जल्द दो फिल्मों में नजर आने वाली हैं। मनीषा ने कहा कि आजकल के युवा वैसे तो उनकी नहीं सुनेंगे लेकिन वह चाहती हैं कि हर युवा धर्म को पहचाने और उससे जुड़े। उन्होंने कहा कि उनको संतों के वस्त्र अच्छे लगते हैं इसलिए वह भी इन रंगों के कपड़े धारण करती हैं। उन्हें हरिद्वार आने से सुकून मिलता है और वह कोशिश करती हैं कि साल में जितनी बार हो सके वह हरिद्वार गंगा के किनारे आएं और समय बिताएं।