राज्य कैबिनेट ने बुधवार को उत्तराखंड में एक नई एयरो स्पोर्ट्स पॉलिसी को मंजूरी दे दी जिसके अंतर्गत 14 से 65 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों को पैराग्लाइडिंग का आनंद लेने की अनुमति दी जाएगी। ऋषिकेश, नैनीताल और मसूरी में पराग्लिडिंग बहुत से एडवेंचर के चहेतों को आकर्षित करती है लेकिन इस खेल को नियंत्रित करने के लिए एक अलग नीति अब तक नहीं बनाई गई थी।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने राफ्टिंग पर मौजूदा नीति में संशोधन किया,बड़े राफ्ट पर लोगों की संख्या को 10 तक सीमित कर दिया, जिसमें एक गाइड भी शामिल था, और छोटी राफ्ट पर यह संख्या आठ थी। राज्य में राफ्टिंग, कयाकिंग या कैनोइंग के दौरान लोगों द्वारा धूम्रपान और पदार्थों के दुरुपयोग पर पूरा प्रतिबंध लगाया गया है। यह संशोधन राफ्ट ऑपरेटरों के लिए न्यूनतम योग्यता भी तय करता है।
गौरतलब है कि 18 जून को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में एडवेंचर स्पोटर्स पर प्रतिबंध लगा दिया था,और कहा था कि जब तक कि इन गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए “पारदर्शी नीति” तैयार नहीं की जाती, तब तक पैराग्लिडिंग और वाईट रिवर राफ्टिंग जैसे साहसिक खेल गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा रहेगा। अदालत ने टिप्पणी की थी कि जो एडवेंचर स्पोर्ट आपदा में तब्दील हो जाते हैं ऐसे खेल की अनुमति नहीं दी जा सकती।
इस बारे में वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि, “कैबिनेट ने उत्तराखंड में पैराग्लिडिंग जैसे साहसिक खेलों को नियंत्रित करने के लिए एक नई एयरो स्पोर्ट्स पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा, राफ्टिंग, कैनोइंग और कायाकिंग के लिए मौजूदा नीति में संशोधन भी स्वीकृत किया गया है। “
नई नीति के अनुसार पहाड़ी राज्य में पैराग्लाइडिंग उपलब्ध कराने वाले ऑपरेटरों के लिए एलीजिबिलीटी क्राइटेरिया होगा। सभी ऑपरेटरों को पैराग्लिडिंग करने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ मानदंडों का पालन करना होगा।
राफ्टिंग, कैनोइंग और कयाकिंग के लिए मौजूदा नीति में संशोधन किया गया है,जैसे कि शराब पीकर आने वाले किसी भी व्यक्ति को राफ्ट पर जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी और यदि ऑपरेटर को इस नियम का उलंघन करते पाया जाता है तो,उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा और राफ्ट जब्त कर लिया जाएगा । पर्यटन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, “एक गाइड के साथ अधिकतम 10 लोग 16 फीट लंबी राफ्ट पर हो सकते हैं जबकि केवल आठ लोग 14 फीट लंबी राफ्ट पर जा सकते हैं।”
लंबे समय से राज्य में साहसिक पर्यटन से जुड़े खेलों के लिये एक नीति का आभाव महसूस किया जा रहा था। अदालत के दखल के बाद ही सही लेकिन आखिरकार राज्य को अपनी नीति मिल गई है। अब देखना ये होगा कि सरकार इस नीति का कितनी कड़ाई से पालन करा पाती है।