(देहरादून) हमेशा से ही उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इंटरनेट और मोबाइल सेवा को ग्राहक तक पहुंचाना टेलीफोन कंपनियों के लिए एक चुनौती बना हुआ था। ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और घाटी में बसे शहरों तक मोबाइल सिग्नल पहुंचाने के लिए टावर का सहारा लिया जाता था, जो हर जगह संभव नहीं हो पाता था। लेकिन अब नई तकनीक के द्वारा हवा में तैरते हुए गुब्बारे से मोबाइल पर इंटरनेट की सुविधा को ग्राहकों तक पहुंचाया जाएगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एरोस्टेट इंटरनेट बैलून तकनीक का आज शुभारंभ किया, जिसके द्वारा उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मैदानी क्षेत्रों में मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा को बेहतर किया जाएगा। आई.टी.डी.ए. अौर आईआईटी मुम्बई के सहयोग से आज इसका देहरादून में सफल ट्रायल प्रयोग किया गया। अब आने वाले दिनों में दूरस्थ क्षेत्रों को सूचना तकनीक व इंटरनेट से जोड़ा जा सकेगा, मुख्यमंत्री ने इस योजना को उत्तराखण्ड में इंटरनेट तकनीक के क्षेत्र में बड़ी शुरूआत बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, “एरोस्टेट बैलून के लिए उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जो कि वर्तमान में सूचना व इंटरनेट तकनीक से अछूते हैं। ऐसे स्थानों को बैलून तकनीक के माध्यम से इंटरनेट की उपलब्धता कराई जाएगी। राज्य की भौगोलिक विषमताओं को देखते हुए यह तकनीक काफी मददगार रहेगी।” उत्तराखण्ड मे आपदा की दृष्टि से भी इस तकनीकी का कारगर उपयोग किया जा सकेगा जिससे आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में टेलीकम्यूनिकेशन बनाकर जल्दी से जल्दी मदद को उन स्थानों पर पहुंचाया जा सकेगा यह तकनीक उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश के लिए अत्यंत ही कारगर सिद्ध होने जा रही है जिसको सरकार बड़े स्तर पर उत्तराखंड में शुरू करने जा रही है।