साल 2019 भाजपा नेताओं की मुराद पूरी कर गया। दायित्व बंटवारे पर दो साल से लगा अघोषित प्रतिबंध इस बार हट गया और करीब 50 भाजपा नेताओं को निगमों व अन्य सरकारी दायित्वों का तोहफा मिल गया। इससे पहले सरकार गठन के दो साल तक किसी नेता को कुछ नहीं दिया गया था। नेताओं को दायित्व मिल गए, लेकिन विधायकों की मंत्री बनने की हसरत इस साल भी पूरी नहीं हो पाई। त्रिवेंद्र मंत्रिपरिषद में मंत्रियों के दो पद खाली रहे। यही नहीं कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की मौत के बाद मंत्रिपरिषद का आकार और छोटा हो गया।
दरअसल एनडी तिवारी सरकार में सरकारी दायित्व अंधाधुंध तरीके से बांटे गए और यह एक मुद्दा बन गया। प्रख्यात लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने अपनी बहुचर्चित गीत में लालबत्तियों के बंटवारे का खास जिक्र करके सरकार की और फजीहत कर दी थी। इसके बाद जो भी सरकार आई, वह दायित्व बांटने के मामले में कैफियत दिखाती रही। बीसी खंडूरी सरकार ने दायित्व तो बांटे, लेकिन संबंधित पदाधिकारियों के वाहनों पर लालबत्ती नहीं लगने दी। तब से उत्तराखंड में इसी तरह से दायित्व बंट रहे हैं।
साल 2017 में भाजपा सरकार आने के बाद एक नई परंपरा ने जन्म लिया। मंत्रिपरिषद में 11 मंत्रियों के लिए गुंजाइश है, लेकिन त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में दो कुर्सियों को खाली छोड़ दिया गया। हर बार अटकलें तेज होती हैं कि अमुक विधायकों को मंत्री बनाया जा रहा है, लेकिन फिर सामान्य स्थिति बहाल रहती है। प्रचंड बहुमत की सरकार होने की वजह से विधायक मंत्री पद के लिए खुलकर लांबिंग नहीं कर पाए हैं। इस साल कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की असामायिक मौत के बाद अब मंत्रिपरिषद में सिर्फ आठ ही मंत्री रह गए हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पंत के सारे विभाग अपने पास रखे हैं। भाजपा हाईकमान और मुख्यमंत्री का मूड ऐसा कतई नहीं दिखता कि हाल फिलहाल मंत्रियों की संख्या बढे़गी। जहां तक सरकारी दायित्वों का मामला है, इस पर लगा प्रतिबंध हटा है, तो छिटपुट दायित्व गाहे बगाहे निकल रहे हैं और भाजपा नेताओं की मुराद पूरी हो रही है। नए साल में भी कुछ और दायित्व बांटे जा सकते हैं।