देहरादून, आज की बदलती जिंदगी और बदलते परिवेश में मानव जीवन को लगातार कई बीमारियां और तनाव के बीच से गुजरना पड़ता है जिस कारण मनुष्य कई बीमारियों की चपेट में आकर अपनी जान गवा बैठता है, लेकिन वहीं कुछ लाइलाज बीमारियां ऐसी भी है जिन्हें हम लोग जानकारी के अभाव और लापरवाही के चलते खुद ही ग्रहण कर लेते हैं। दून अस्पताल में एचआईवी मरीजों का ये आंकड़ा बताता है की दिनोदिन एड्स के मरीजों की तादाद कितनी बढ़ रही है।
हम बात कर रहे हैं सबसे घातक और लाईलाज बीमारी एड्स की एड्स। एक ऐसी बीमारी है जो अब न केवल विदेशों में बल्कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भी अशिक्षा और लापरवाही के चलते अपने पैर पसार रही है। मौजूदा समय में अगर सूबे के सबसे बड़े अस्पताल दून मेडिकल अस्पताल कॉलेज की बात करें तो अस्पताल में इतनी भयावह तस्वीरें नजर आती है कि जिन पर विश्वास करना काफी कठिन हो जाता है। जी हां, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हर दिन 2 मरीज एचआईवी पॉजिटिव पाया जाता है जो कि अपने आप में बहुत गंभीर विषय है।
दून अस्पताल में एक माह में तकरीबन 1200 टेस्ट होते हैं जिनमें से हर महीने 20 के लगभग मरीज HIV के पॉजिटिव पाए जाते हैं औरं कभी-कभी यह संख्या 25 के पार हो जाती है, यानी कि 1 महीने में 20 से 24 दिन अस्पताल खुलता है तो हर दिन एक या दो मरीज दून अस्पताल में एड्स का होता है जो कि एक गंभीर विषय है।
अस्पताल के एचआईवी विभाग के नोडल अधिकारी एस. डी जोशी के अनुसार, “अस्पताल में हर दिन काफी संख्या में HIV टेस्ट के लिए मरीज आते हैं जिनमें से लगभग हर दिन एक या दो मरीज पॉजिटिव निकलता है। ऐसे में प्रदेश में जहां HIV की रोकथाम के लिए कई एनजीओ और सरकार एड्स जैसी बीमारी के लिए जागरूकता अभियान चला रही है। हर दिन अगर दून अस्पताल से एक मरीज का निकलता है तो यह सरकार और स्वास्थ्य विभाग के सामने गंभीर चिंता का विषय है की इतने बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद भी अभी तक प्रदेश की स्थिति है।
वहीँ अगर बीते साल 2019 के आंकड़ों पर गौर तो ये आंकड़े चौकाने वाले हैं ,जिनसे सरकार और एड्स के प्रति काम कर रही एनजीओ के लिए चिंता की बात है कि साल 2019 में दून हॉस्पिटल में 11897 टेस्ट हुए जिनमे से 244 पॉजिटिव मरीज सामने आये हैं जिनमे से 180 पुरुष और 64 महिलायें हैं साथ ही इनमें 3 बच्चे शामिल भी हैं। ऐसे में सबसे बड़ी बिडंबना यह है की देहरादून के महज एक अस्पताल दून अस्पताल में एचआईवी मरीजों की इतनी तादाद सामने आ रही है तो प्रदेश के बाकी अस्पतालों की स्थिति होगी।