ब्लैक फंगस का सामना कर चुके मधुमेह रोगी रहें सतर्क: एम्स

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कोरोना

अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद यदि म्यूकर मरीजों ने अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में लापरवाही बरती तो उन्हें फिर म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) हो सकता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने ऐसे मरीजों को शुगर लेवल के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी।म्यूकर ग्रसित मरीजों की संख्या में अब भले ही कमी आने लगी हो, लेकिन शुगर पर नियंत्रण नहीं रखने से ऐसे मरीजों की दिक्कतें फिर से बढ़ सकती हैं।

एम्स ऋषिकेश ने सलाह दी है कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी म्यूकर रोगियों को अपने शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है। गौरतलब है कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान मई में म्यूकर माइकोसिस के मामले अचानक बढ़ गए थे। तब से अब तक एम्स में म्यूकर माइकोसिस के 348 रोगी आ चुके हैं। यहां कुल 170 म्यूकर रोगियों का उपचार चल रहा है। इनमें से 108 एम्स अस्पताल और 62 मरीज आईडीपीएल स्थित राइफलमैन जसवंत सिंह रावत कोविड केयर सेंटर में उपचाराधीन हैं।

एम्स निदेशक प्रो. रविकांत का कहना है कि जिन लोगों को शुगर की समस्या है, उन्हें म्यूकर माइकोसिस का ज्यादा खतरा है। खासतौर से उन मरीजों को जिन्हें कोविड हुआ है, उन्हें अपने शुगर के प्रति बहुत गंभीरता बरतनी चाहिए। न केवल म्यूकर माइकोसिस, कई अन्य गंभीर बीमारियां भी ब्लड शुगर बढ़ने से होती हैं। यह जरूरी नहीं कि जो लोग म्यूकर का उपचार करवाकर डिस्चार्ज हो रहे हैं, उनमें दोबारा म्यूकर नहीं हो सकता। यदि शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ गई तो म्यूकर फंगस फिर से उन्हीं अंगों अथवा शरीर के अन्य अंगों को चपेट में ले सकता है और मरीज को फिर अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है।

म्यूकर ट्रीटमेंट टीम के हेड और ईएनटी सर्जन डॉ. अमित त्यागी ने इस बाबत बताया कि म्यूकर माइकोसिस के रोगी को एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन से इलाज के लिए सामान्यतौर पर न्यूनतम 3 से 6 सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। एम्स में अब तक म्यूकर के 126 रोगियों की एंडोस्कोपिक सर्जरी, 92 रोगियों की तालुका तथा जबड़े से संबंधित मैक्सिलेक्टॉमी सर्जरी और 64 रोगियों की आंख की सर्जरी की जा चुकी है।

डा. त्यागी ने बताया कि जो मरीज आईडीपीएल स्थित राइफलमैन जसवंत सिंह कोविड केयर सेंटर में भर्ती किए जा रहे हैं, उन्हें भोजन एवं उपचार आदि की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान हम सभी को कई प्रकार के अनुभव प्राप्त हुए हैं। इन अनुभवों ने हमें सिखाया है कि म्यूकर माइकोसिस जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है अन्यथा इस खतरनाक बीमारी से बचाव होना बहुत मुश्किल है।