स्वामी सानंद मामले में एम्स प्रशासन ने नहीं दी जनता को अंतिम दर्शन की अनुमति

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रविकांत ने स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखे जाने संबंधी मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि, “स्वामी सानंद के पार्थिव शरीर को किसी भी दशा में अंतिम दर्शन के लिए नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज कोई प्रदर्शनी की जगह नहीं है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्वामी सानंद अपनी देह एम्स को दान कर चुके हैं, परिजन भी सहमति जता चुके हैं। इसलिए दान की हुई वस्तु को वापस लेने का कोई औचित्य नहीं है। “

ऋषिकेश एम्स में स्वामी सानंद के अंतिम दर्शन के लिए पहुँचे जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, “नितिन गड़करी ने झूठ कहा कि उनकी 80 फीसदी मांगों को सरकार ने मान लिया है। सरकार को उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए था। लेकिन सरकार ने उनकी आवाज को दबाने का काम किया। गंगा को स्वतछ और निर्मल बनाने का स्वामी सानंद के सपने को हम मिलकर पूरा करेंगे।”

उन्होंने कहा कि हम अनशन करके नही बल्कि जिंदा रहकर जन जन को गंगा के प्रति जागरूक करेंगे। इस रविवार से वो बढ़ी जन जागरूकता यात्रा करेंगे जो कि मकर सक्रांति तक चलेगा। उन्होंने कहा सरकार ने जिस तरह से गंगा के नाम पे धोखा दिया है उससे हर गंगा प्रेमी नाराज़ है। सानंद की मौत पर प्रदेश में जहां एक और सरकार ने चुप्पी साधी हुई है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस समाजसेवी एवं पर्यावरणविद ओं के साथ मिलकर इस मामले को तूल देने पर जुट गई है स्वामी सानंद के एम्स परिसर में अंतिम दर्शन की मांग को प्रशासन ने अस्वीकार कर दिया जिसके चलते प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट और वरिष्ठ पर्यावरण वेद राजेंद्र सिंह अंतिम दर्शनों की मांग को लेकर एम्स परिसर में धरने पर बैठ गए।