लॉक डाउन-4.0 के दौरान देश में 25 मई से घरेलू उड़ानें शुरू करने के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार ने भी अपनी तैयारी कर ली है। उत्तराखंड से 7 उड़ानें परिचालित होंगी। इसलिए राज्य सरकार ने गढ़वाल के कमिश्नर रविनाथ रमन और एसडीआरएफ के आईजी संजय गुंज्याल को राज्यों के बीच समन्वय के लिए नोडल अधिकारी बनाया है। प्रभावी समन्वय के मद्देनजर जिला अधिकारियों को जिला नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है। उप जिलाधिकारी और पुलिस उपाधीक्षकों को अतिरिक्त नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया जाएगा।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने घरेलू उड़ानों से यात्रियों की आवाजाही के लिए कुछ परिचालन दिशा-निर्देश (एसओपी) जारी किए हैं। इसके अनुसार जिला प्रशासन हवाई अड्डे पर संपर्क अधिकारी नियुक्त करेगा ( एक अधिकारी प्रशासन से और दूसरा पुलिस से नियुक्त करने को वरीयता दी जाएगी, जिसके साथ पर्याप्त सहायता स्टाफ होगा) और यात्रियों की सुविधा के लिए एक हेल्प डेस्क स्थापित की जाएगी। नामित संपर्क अधिकारी एयरपोर्ट अथॉरिटी के नोडल अधिकारी के साथ समन्वय करेंगे और आने तथा बाहर जाने वाले यात्रियों की आवाजाही को आसान बनाने में मदद करेंगे। जो लोग फ्लाइट से यात्रा करने के इच्छुक हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से स्वयं को वेब पोर्टल (https://dsclservices.in/uttarakhand-migrantregistration.php) पर पंजीकृत करना होगा। इसके अलावा नागरिक उड्डयन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा। यात्रियों की कवारंटाइन अविधि कम से कम 7 दिन होगी। इसके आगे का फैसला केंद्र और राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के आधार पर होगा।
अतिरिक्त नोडल अधिकारियों को संपर्क अधिकारी के साथ तालमेल बनाते हुए आने वाले यात्रियों के आगमन की तारीख और समय, पता और संपर्क नम्बरों के साथ सूची तैयार करनी होगी। यह सूचना जिला नोडल अधिकारियों और सैटेलाइट कंट्रोल रूम के साथ दैनिक आधार पर साझा करनी होगी। एयरपोर्ट के हिसाब से हवाई अड्डे पर सभी यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग सुनिश्चित की जाएगी और बाहर निकलने वाले यात्रियों के लिए हेल्थ डेस्क सेटअप की जा सकेगी। आने वाले यात्रियों के लिए संपर्क अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि सभी यात्रियों को स्वास्थ्य प्राधिकृतों/राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार निर्धारित समय के लिए सुविधा केंद्रों में एकांतवास में रखा जाए, यदि वे किसी तरह का चिकित्सा प्रमाण पत्र पेश नहीं करते हैं। एकांतवास केंद्रों को यात्री अपनी मन पसंद के मुताबिक सूची में चुन सकेंगे, जो हेल्प डेस्क पर उपलब्ध रहेगी। हालांकि इसके लिए उन्हें भुगतान करना होगा, जिसके रेट उस सूची में लिखे होंगे।
संपर्क अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि एकांतवास केंद्र तक यात्रियों को ले जाने के लिए पहले से चिह्नित वाहनों का ही उपयोग किया जाए। इसी तरह सिम्पटोमैटिक यात्रियों के लिए शारीरिक दूरी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करते हुए निर्धारित मानदंडों के अनुरूप अलग वाहन उपलब्ध कराए जाएं। यात्रियों को एकांतवास केंद्रों तक ले जाने वाहन के ड्राइवर को भी सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी जरूरी मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा। संपर्क अधिकारी को यात्री द्वारा एकांतवास की अवधि पूरी करने के बाद वहां से जाते समय प्रमाण पत्र देना होगा, जिसे नोडल अधिकारी और सैटेलाइट कंट्रोल रूम के साथ दैनिक रूप से साझा करना होगा। जोखिम वाले क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में जाना और आना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होगा। यात्रियों के लिए निजी वाहन या टैक्सी से एयरपोर्ट आने-जाने के समय एयरपोर्ट अथारिटी, गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।
कोरोना के साथ जीवन जीने की कला सीखना अब लोगों के लिये ज़रूरी हो गया है। इसके लिये यह ज़रूरी है कि धीरे धीरे देश लॉकडाउन से बाहर निकले। लेकिन, इसके साथ ही यह भी ज़रूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारें और सुदृढ़ तालमेल से काम करें।केंद्र और राज्य के बीच कम्यूनिकेशन की कमी समय समय पर सामने आती रही है। इसका सबसे बड़ा उद्धारण प्रवासी मज़दूरों को उनके घरों तक वापस भेजना रहा है। इसके कारण हज़ारों की तादाद में मज़दूर आज भी सड़कों पर पैदल चलने को मजबूर हैं।