उत्तराखंड ईकोटोरिसम कॉरपोरेशन स्वदेश दर्शन योजना के तहत दो पर्यटन सर्किट लॉन्च करने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी।थाको-संजय झील, चौरासी कुटिया-रानीचौरी-धनोल्टी-देवलसारी और चीला-रसियाबाद-स्नेह-कोल्हुचौर-कनवाश्रम सर्किट को जोड़ते हुए ऋषिकेश, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, हरिद्वार, टिहरी, मसूरी और कोटद्वार को विकसित करने की योजना बनाई है। तीन सर्किट के कांसेप्ट को जोड़ते हुए हिमालय, ईकोटौरीज़म और वन्य-जीव का यह प्रस्ताव अपने अंतिम चरण में है।
अधिकारी इन स्थानों के विकास में आने वाले खर्चे को जोड़ने का काम कर रहे हैं, प्रस्ताव इस महीने में प्रस्तुत कर दिया जाएगा।पर्यटन मंत्रालय ने पूरे देश में थीम-आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के लिए स्वदेश दर्शन स्कीम शुरू की थी। इस योजना के तहत, विकास के लिए पूर्वोत्तर, बौद्ध, हिमालयी, तटीय, कृष्णा, रेगिस्तान, आदिवासियों, पारिस्थितिकी, वन्य जीव, ग्रामीण, आध्यात्मिक, रामायण और विरासत के सर्किट की पहचान की गई है। यह थीम पर्यटन पर अधिक जोर देता है – धर्म, संस्कृति, विरासत, अवकाश और अन्य।
दो चुने गए सर्किटों में फारेस्ट रेस्ट हाउस को प्रस्ताव के तहत कुछ पर्यटक स्थलों से जोड़ा जाएगा। हरिद्वार जंगल विभाग की चिरीपुर रेंज में रसायाबाद वन विश्रामगृह 1889 में बनाया गया था। झीलमिल जिल के पास, लगभग खत्म हो चुके स्वैंप डियर यानि की बारहसिंघे के घर के आसपास बने रेस्ट हाउस पर्यटकों के आरामदायक ट्रीप के लिए उनका स्वागत करेंगे।
इसी तरह, देहरादून वन विभाग में थानों विश्रामगृह 1890 में बनाया गया एक पुराना बंगला है। घर से 8 किमी की ऊपरी ट्रेक पर एक जीर्णोद्धारित विश्रामगृह मदन बंगला है जहां से दून घाटी का बर्ड व्यू देख सकते हैं। वन्य जानवरों के बार-बार आगमन की वजह से, थानो रेस्ट हाउस, दून डिवीजन में स्थित एक शानदार पर्यटन स्थल हैं।
“दोनों सर्किट के तहत पर्यटन की अवधारणा हमारे फारेस्ट रेस्ट हाउस के आसपास घूमती है।” उत्तराखंड ईकोटोरिसम कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक अनुप मलिक ने बताया कि कुछ ऐतिहासिक विश्रामगृहों को महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों से जोड़ा जाऐंगा। परियोजना के तहत मांग की गई धनराशि का उपयोग नवीकरण और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा। स्थानीय लोगों को विभिन्न गतिविधियों जैसे कि हाउसकीपिंग, रसोईघर और अन्य कामों के लिए जोड़ा जाएगा।
योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, पर्यटन सर्किट की पहचान वर्तमान पर्यटक यातायात, कनेक्टिविटी, साइटस और समग्र पर्यटक अनुभव से जुड़ी क्षमता और महत्व के आधार पर किया जाएगा।