अमृतसर ट्रेन हादसाः मृतकों की संख्या 60 के पार, किसी ने बेटा खोया तो किसी के सर से उठ गया माता-पिता का साया

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चंडीगढ़। पंजाब के अमृतसर में शुक्रवार शाम दशहरा समारोह में रावण के पुतला दहन के दौरान मची भगदड़ के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 58 हो गई है। हादसे की गंभीरता को देखते हुए राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लेने के लिए राज्यपाल बीपी सिंह बदनौर देर शाम अमृतसर रवाना हो गए।
अमृतसर के पुलिस आयुक्त सुधांशु श्रीवास्तव ने देर रात 58 लोगों की मौत की पुष्टि की है। इस हादसे में बड़ी संख्या में लोग ट्रेन की चपेट में आकर घायल भी हुए हैं, जिन्हें विभिन्न नजदीकी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। पंजाब के राज्यपाल देर शाम दुर्घटना स्थल के लिए रवाना हो गए हैं। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पहले ही अमृतसर के लिए रवाना हो चुके हैं।

केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, रेलवे बोर्ड चेयरमैन अश्वनी लोहानी भी रात 10.30 बजे दिल्ली से अमृतसर के लिए रवाना हो गए हैं। इनके अलावा उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक, प्रिंसिपल चीफ मेडिकल डायरेक्टर, प्रिंसिपल चीफ आपरेटिंग अफसर, चीफ सेफ्टी अफसर, चीफ कमर्शियल मैनेजर भी दुर्घटना स्थल के लिए रवाना हो गए हैं। 

 

सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिवार को किया 5 लाख की आर्थिक मदद का ऐलान

अमृतसर में जौड़ा फाटक के पास शुक्रवार शाम हुए भयानक रेल हादसे के शोक में पूरे पंजाब में राज्य सरकार ने शनिवार को छुट्टी करने का ऐलान किया है।
इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस हादसे के प्रत्येक मृतक के परिवार को पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद मुहैया कराने का ऐलान किया है और घायलों का सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में सारा उपचार मुफ्त करवाने का आदेश जारी किया है।
उधर, केंद्र सरकार ने भी प्रत्येक मृतक के परिवार को दो लाख रुपये आैर घायलों को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराने का ऐलान किया है।
इसके अलावा विशेष रूप में दशहरा मेला में पहुंची नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने सफाई देते हुए कहा कि अमृतसर में रेल हादसा होने से 15 मिनट पहले वहां से चली गई थीं। जिस समय यह हादसा हुआ, वह उस समय वहां पर मौजूद नहीं थीं। 

जहां-तहां टुकड़ों में बिखरी पड़ी थी लाशें, हर तरफ मची थी चीख-पुकार

रावण दहन के बाद घर लौटने की तैयारी कर रहे दर्जनों परिवारों को इस बात का कतई अंदेशा नहीं था कि महज कुछ पल बाद ही वह अपनों को हमेशा के लिए खो देंगे। अमृतसर के जोड़ा फाटक पर हुए भीषण ट्रेन हादसे के बाद घटनास्थल का मंजर दिल दहला देने वाला था। हर तरफ टुकड़ों में बिखरी लाशें पड़ी थी और चीख-पुकार के साथ लोग अपनों को तलाश रहे थे।
महज पांच मिनट में समूचा घटनाक्रम बदल गया। किसी ने अपना सुहाग हमेशा के लिए खो दिया तो कोई मां बगैर बेटे के अपने घर जाएगी। कोई व्यक्ति अपनी जवान बेटी को भीड़ में तलाश रहा है तो कोई बेटा अपने माता की तलाश में बदहवास हो चुका है।
यह दिल दहला देने वाला मंजर अमृतसर के जोड़ा फाटक का था। जहां लोग यह नहीं समझ पा रहे कि आखिर पलक झपकते ही दशहरे की खुशियां कैसे मातम में बदल गईं। हादसा शाम करीब पौने सात बजे हुआ। जिसके बाद हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था। इस हादसे में अपनों को गंवाने और जिंदा बचे लोगों के लिए सबसे बड़ी विडंबना यह है कि उन्हें अपनों की टुकड़ों में कटी लाशें उन्हें समेटनी होंगी। हादसे के बाद आसपास के क्षेत्र में अंधेरा होने के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लाशें इस कदर टुकड़ों में बिखर चुकी थीं कि लोग किसी टुकड़े को कपड़े से तो कोई जूतों से या पैंट से ही शिनाख्त कर रहा था।
हादसे के बाद अपने भतीजे व बेटे को गंवाने वाले धोबीघाट इलाका निवासी बृजेश सिंह ने बताया कि रावण दहन के दौरान वह घर जाने की तैयारी में थे कि अचानक यह हादसा हो गया। हादसे के बाद उसे अपनों का कोई सुराग नहीं मिला है। रेलवे कांउटर पर कोई भी सुनवाई करने वाला नहीं है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति महिला राजविंदर कौर की थी, जिसका जवान बेटा कुलविंदर इस हादसे की भेंट चढ़ गया लेकिन उसकी न तो लाश मिली है और न ही कोई सुराग मिला है।
मौके पर पहुंचे पुलिस आयुक्त सुधांशु श्रीवास्तव के अनुसार मृतकों की शिनाख्त सबसे बड़ी मुश्किल है। घटनास्थल के आसपास हाईमास्क लाइट का प्रबंध करवाया गया है। सुबह होने तक का इंतजार करना पड़ेगा। उसके बाद ही मृतकों की शिनाख्त हो सकेगी।

इस रात की सुबह और भी घिनौनी थी

अमृतसर में हुए ट्रेन हादसे के बाद बृहस्पतिवार की रात यहां के लोगों के जितनी काली थी उनके लिए शुक्रवार की सुबह उससे भी भयानक थी। ट्रेन हादसे का शिकार हुए लोगों के लिए सुबह का सूरज चीख-पुकार लेकर आया। जैसे-जैसे सुबह होती गई वैसे-वैसे लोग शवों की शिनाख्त के लिए आगे आते रहे और उनकी उम्मीद की आखिरी किरण भी समाप्त हो गई।
अमृतसर ट्रेन हादसे का शिकार घायलों को शहर के अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है| उधर, रेलवे पुलिस के कर्मचारी स्थानीय प्रशासन की मदद से रातभर रेलवे ट्रैक से शवों को समेटने में लगे रहे। प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों के टुकड़ों में बिखरे शवों को समेट कर यहां के सरकारी अस्पताल में रखवाया है।
जैसे लोगों को इस हादसे में अपनों के मरने की पुष्टि हुई तो हर तरफ चीख-पुकार मच गई। इस घटना में बहुत से लोग ऐसे थे जो रातभर अपने परिजनों को तलाशते रहे| सुबह रेलवे ट्रैक में जहां-तहां फंसे कपड़ों व अन्य सामान से उनकी शिनाख्त की| हालांकि लाशों के लिए जंग अभी जारी है| रातभर रेलवे ट्रैक पर सर्च आपरेशन चलाकर लोगों की लाशों को इकट्ठा किया गया है|
आधी रात में करवाए पोस्टमार्टम
अमृतसर के इतिहास में यह पहला मौका था जब आधी रात को पोस्टमार्टम हाउस खुला और डाक्टरों की टीम ने ट्रेन हादसे के शिकार लोगों के पोस्टमार्टम किए। अस्पताल प्रबंधकों ने रात करीब दो बजे के बाद यहां पहुंचे शवों का पोस्टमार्टम करवाया। उन्हें शिनाख्त प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब वारिसों के हवाले किया जाएगा।