मोदी सरकार के चुनावी वादों का सबसे बड़ा दावा गंगा को प्रदूषण मुक्त करना है जिससे करोड़ों लोगों की आस्था जुडी हुई है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट से उम्मीद बनी है लेकिन अभी स्थिति में सुधार के लिए 10 साल का और इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि गंगा के रास्ते में आबादी का बोझ, शहरों का सीवर सपनों में गंगा की ओर को बदनुमा बना रही है।
गंगा नदि में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह सीवर का गंगा-जमुना मिलना है, जिससे गंगा जल में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो गई है। गंगा में प्रदूषण का मुख्य कारण बड़ी आबादी वाले क्षेत्र से गुजरने वाले नाले हैं जो शहर की तमाम गंदगी को सीधे गंगा में मिला देते हैं। हद तो यह है कि ऋषिकेश से लेकर उत्तरकाशी, गंगोत्री, देवप्रयाग और तमाम उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में बसे नगरों की गंदगी सीधे गंगा में मिल रही है, जिससे गंगा अपने ही घर में लगातार मैली होती जा रही है।
ऋषिकेश पहुंची केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने बताया कि गंगा की स्थिति को सुधारने में अभी 10 साल का और समय लगेगा सरकार गंगा की शुद्धता और निर्मलता के लिए तमाम प्रयास करती आ रही है जिसका असर जल्दी देखने को मिलेगा। गंगा अपने ही घर में मिली है मिली है तो दूसरे राज्यों की स्थिति तो और भी भयानक है उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में गंगा के मुहाने से लेकर हरिद्वार तक कई शहरी और ग्रामीण आबादी वाले नगर पंचायत और पालिका क्षेत्र हैं जिनकी आबादी और टूरिस्ट डेस्टिनेशन का सारा मल मूत्र सीधे गंगा में मिल रहा है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती का कहना है कि ऋषिकेश और हरिद्वार के तमाम ऐसे नालों को जल्द से जल्द बंद किया जाएगा ताकि शहर की गंदगी गंगा नदी पर ना जा सके.
धरती की सबसे पावन नदी गंगा आज बेहद मेली हो चुकी है इस पर सरकार को जल्द से जल्द कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ी को स्वच्छ और निर्मल गंगा का जल मिल सके। बहरहाल गंगा को स्वच्छ और साफ बनाने के सपने को सच होने में अभी 10 साल का समय और लगेगा, अब देखने वाली बात होगी कि लगातार मैली होती गंगा को किस तरह एक बार फिर साफ बनाया जा सकेगा।