ऋषिकेश में अतिक्रमण पर जल्दी चलेगा डंडा,हाईकोर्ट ने दिए आदेश

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देहरादून ,उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने धार्मिक नगरी ऋषिकेश को अतिक्रमणमुक्त करने के निर्देश दिये हैं। उच्च न्यायालय ने उन धार्मिक संस्थानों को भी सील करने के निर्देश दिये हैं जो अवैध ढंग से निर्मित्त किये गये हैं। कोर्ट ने रिहायशी इलाकों में बने व्यावसायिक भवनों व संपत्तियों को भी सील करने को कहा है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा की अध्यक्षता वाली युगल पीठ ने धार्मिक नगरी में हुए अतिक्रमण पर गंभीर रूख अख्तियार किया है। पीठ ने सरकार व नगर पालिका की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगाये हैं। पीठ ने शहर में हुए 1127 अतिक्रमण पर आश्चर्य व्यक्त किया और सरकार को उन्हें हटाने के निर्देश दिये हैं।

पीठ ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों व पैदल रास्तों पर किये गये अतिक्रमणों को हटाया जाए। पीठ ने अपने निर्देश में कहा कि अतिक्रमणकारियों को तीन सप्ताह के अंदर नोटिस जारी किया जाए। दो सप्ताह में जवाब मांगा जाये। इसके बाद अतिक्रमण हटाने के लिये आवश्यक कार्यवाही अमल में लायी जाए।

कोर्ट ने सार्वजनकि स्थानों पर बने उन सभी धार्मिक स्थानों को भी सील करने को कहा है जो प्राधिकृत संस्थाओं नगर पालिका व हरिद्वार विकास प्राधिकरण के नियमों व प्रावधानों के खिलाफ बनाये गये हैं। यही नहीं रिहायशी इलाकों में निर्मित्त उन व्यावयायिक भवनों व संपत्तियों को भी सील करने को कहा है जो हरिद्वार विकास प्राधिकरण के नियमों के विरूद्ध बनाये गये हैं।

इसके साथ ही पीठ ने अनिल कुमार गुप्ता की जनहित याचिका को पूरी तरह से निस्तारित कर दी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि शहर की सड़कें व पुटपाथ पर अतिक्रमण के शिकार हो गये हंै और इसके चलते पूरे ऋषिकेश शहर में जाम की स्थिति बनी रहती है।

जाम से शहर की आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। धार्मिक संस्थाओं ने भी सार्वजनिक स्थानों पर अवैध निर्माण व अतिक्रमण किया हुआ है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि सार्वजनिक जगह यानी रोड पर बनीं र्साइं मंदिर को भी नहीं हटाया गया है। नगर पालिका ने वीरभद्र मार्ग में सरकारी भूमि पर किये गये 27 अतिक्रमणकों को नियमित कर दिया है।

नगर पालिका की ओर से पेश जवाब में कहा गया है कि शहर के विभिन्न स्थानों, सड़कों व सार्वजनिक सथानों पर 1127 अतिक्रमण हुए हैं। अतिक्रमणकारियों ने शहर के मुख्य राष्ट्रीय राजमार्ग-58 को भी नहीं छोड़ा है और राष्ट्रीय राजमार्ग पर 145 अतिक्रमण हुए हैं।