शराब के खिलाफ आंदोलन रुकने का नाम नहीं ले रहा और यह आंदोलन एक जगह से दूसरी जगह आग की तरह फैल रहा।यह आंदोलन और भी दमदार हो जा रहा जब महिलाएं मिल कर इसके लिए मैदान में उतर गई हैं।इस आंदोलन ने तब तूल पकड़ा जब हमेशा शांत रहने वाली धनौल्टी के एक किस्से ने सुर्खियां बटोरी। एक दर्जन महिलाएं ने शराब की दुकान में घुसकर तोड़फोड़ कर दी, जिनमे से 64 साल की हिमदेई एक 40 साल के बेटा की माँ है। वह ड्राईवर होने के साथ ही शराब पीने लगा अौर नौकरी छुट गई।
राज्य सरकार के इस फैसले पर कि हाईवे पर कोई शराब की दुकान व ठेके नहीं होंगे धनौल्टी के लोगों ने चैन की सांस लीम लेकिन देखते-देखते 15 साल पुरानी दुकान बंद तो हुई लेकिन नये अवतार में कुछ दूरी पर फिर खुल गई।
40 साल की बीना देवी कहती हैं कि धनौल्टी में ठेका खुलना हम सभी के लिए खासकर महिलाओं के लिए परेशानी का सबब बन गया है। उन्होंने बताया कि यहा के लोग दिन में कमाते हैं और शाम को कमाए हुए पैसों से ठेकों पर शराब पीते हैं और रात को घर आकर अपनी बीवी और बच्चों को मारते पीटते हैं। इस शराब ने बहुत से परिवार को बरबाद कर दिया है।अंत में बीना ने कहा कि मैं और मेरे जैसी बहुत सी महिलाएं इसके खिलाफ है, हमें इस एरिया में कोई ठेका ही नहीं चाहिए।
जबकि मुकेश जो एक दुकानदार है कहते है कि हर कोई जानता है कि धनौल्टी टूरिस्ट स्पाट है और दूर-दराज के लोग यहां धूमने आते और यहां से शराब खरीदते हैं ऐसे में यहां ठेका ना होने से बिजनेस में नुकसान हो सकता है।जबकि नर्कुची क्षेत्र की ममता कहती है कि हम अपनी लड़ाई बरकरार रखेंगें और इस संबंध में हमने डीएम को चिट्ठी लिखी है और जरुरत पड़ने पर हम इस बात को और आगे लेकर जाएंगे।