त्यूनी, देहरादून जिले के जौनसार बावर परगना में सेब उत्पादन का दायरा बढ़ने लगा है। बीते पांच साल में यहां सेब उत्पादन 1000 हेक्टेयर से बढ़कर 1500 हेक्टेयर तक जा पहुंचा हैं। काश्तकारों की संख्या में भी इजाफा हुआ है।
वर्तमान में 8500 काश्तकारों की आजीविका का मुख्य स्रोत सेब उत्पादन बन चुका है। सेब के बढ़ते उत्पादन को देखते हुए इस बार क्षेत्रीय काश्तकारों ने उद्यान विभाग से करीब 90 हजार पौधों की डिमांड की है जो अब तक की सबसे बड़ी डिमांड हैं। इन पौधों को 110 हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपा जाएगा। उद्यान प्रभारी त्यूनी आरपी जसोला ने कहा कि जौनसार बावर सेब उत्पादन में खास पहचान बना चुका है।
यहां के काश्तकार पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश से सीख लेते हुए व्यवसायिक दृष्टिकोण को अपना रहे हैं। जिसके चलते आज क्षेत्र सेब उत्पादन में अग्रणीय हो गया है। हिमाचल से ज्यादा जौनसार बावर के सेब की डिमांड हो गई है। क्षेत्र में रॉयल डेलिसस, रेड डेलिसस, गोल्डन डेलिसस प्रजाति के सेब का उत्पादन प्रमुखता से किया जाता है।
काश्तकार वीरेंद्र शर्मा, प्रदीप कुमार, रतन सिंह आदि का कहना है कि, “विभाग ने रेड चीफ सुपरस्टार के पौधे तैयार किए हैं। ये पौधे कम बर्फबारी में भी अच्छा उत्पादन देते हैं। जिसके चलते अब सेब उत्पादन में जबरदस्त इजाफा हो रहा है।” कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि, बागवानी को बढ़ाने के लिए सरकार वह हर संभव प्रयास कर रही है। जिससे काश्तकारों की आमदानी में इजाफा हो सके।”
बीते पांच साल में ऐसे बढ़ा उत्पादन
2012-13 5500 टन
2013-14 6000 टन
2014-15 7000 टन
2015-16 8500 टन
2016-17 9000 टन