उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बारानी खेती को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से 1000 करोड़ की ‘उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना’ को मंजूरी दे दी गई है। विश्व बैंक से पोषित इस यह परियोजना को जलागम विभाग कियान्वित करेगा।
उत्तराखंड की ओर से ग्रीन हाउस कार्बन उत्सर्जन कम किये जाने एवं जलवायु परिवर्तन से हो रहे कृषि क्षेत्र में प्रभावों को कम करने के लिए भारत सरकार को विश्व बैंक से वित्त पोषण के लिए ‘उत्तराखंड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना का प्रस्ताव प्रेषित किया गया था’।
यह परियोजना पर्वतीय क्षेत्रों में स्प्रिंगशेड प्रबन्धन, कृषि उत्पादकता को बढ़ाने, पलायन रोकथाम, नवीनतम आधुनिक तकनीक अपनाकर क्लस्टर आधारित खेती को प्रोत्साहित करने में कारगर सिद्ध होगी, ताकि कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा सके और प्रदेश के युवाओं एवं कृषकों के लिए कृषि एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित हो सके।
राज्य के बारानी कृषि क्षेत्र के व्यापक सुधार, प्रति इकाई उत्पादकता वृद्धि तथा कृषि व्यवसाय वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुये प्रस्तावित परियोजना में प्रमुख रूप से निम्नानुसार गतिविधियां की जाएंगी। वर्षा आधारित कृषि उत्पादन प्रणालियों में संभावनाओं के विस्तार के लिए आधारभूत प्रणाली के रूप में स्प्रिंग- शेड प्रबंधन अवधारणा से कार्य।
प्रस्तावित परियोजना गतिविधियों से न सिर्फ कलस्टर स्तर पर विश्वसनीय फसल आधारित मौसम सलाहकार सेवाओं के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, फसलों, सब्जियों और फलों के लिए जलवायु अनुकूल पैकेज आफ प्रैक्टिसेज का विकास संभव हो सकेगा। परियोजना क्षेत्र में उच्च मूल्य संरक्षित कृषि कलस्टरों की स्थापना के साथ-साथ स्थानीय कृषकों की वित्तीय तथा तकनीकी सहायता में पूर्णतः सक्षम एवं क्रियाशील 5 कृषि व्यवसाय केंद्रों की स्थापना भी हो सकेगी। इसके अतिरिक्त जल उत्सर्जन में 4 प्रतिशत की वृद्धि, मृदा क्षरण में 15 प्रतिशत की कमी तथा बारानी फसलों में 20 प्रतिशत एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में 50 प्रतिशत की वृद्धि जैसे लक्ष्य प्राप्त किए जा सकेंगे।