देशभर में चेक वापिसी के लगभग 40 लाख मुक़दमे न्यायालयों में लंबित: कैट    

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नई दिल्‍ली, कन्‍फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देशभर में चेक वापसी की संख्या में आ रही तेजी पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल को भेजे गए एक पत्र में कहा गुरुवार को यह एक सबसे महत्वपूर्ण और ज्वलंत मुद्दा बन गया है, जिसके चलते देश में हो रहे व्यापार में चेक की साख कम हो गई है। क्‍योंकि, देश में चेक बैंकिंग लेनदेन का सबसे अहम हिस्सा  है।

कैट ने कहा कि चेक वापिसी के मामलों में न्यायालयों से न्याय हासिल करने के लिए देश में पूरे व्‍यापारी समुदाय को लंबे वक्‍त तक कानूनी प्रक्रिया से जूझना पड़ता है, लेकिन उसके बाद भी पैसा नहीं मिलता है। कैट ने वित्त मंत्री को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 में संशोधन करने के साथ-साथ इस महत्वपूर्ण मुद्दे से प्रभावी रूप से निपटने के लिए तत्काल विकल्प के रूप में बाउंस चेक के त्वरित निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन का सुझाव भी दिया है।

सीतारमण एवं गोयल को भेजे पत्र में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने विधि आयोग की 213वीं रिपोर्ट पर उनका ध्यान आकर्षित किया है, जिसमें कहा गया है कि देशभर में करीब 40 लाख चेक बाउंस के मामले विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि न्यायालयों में लंबित मामलों में चेक बाउंस के मामलों का हिस्सा बहुत बड़ा है। उल्लेखनीय है कि 20 जून, 2018 को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने भी कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों में 20 प्रतिशत से अधिक मामले बाउंस चेक  से जुड़े हैं,  जो दंड के साथ-साथ आर्थिक अपराध से संबंधित एक अपराध है और इन मामलों के मुकदमों के निर्णयों में तेजी लाने के लिए नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अधिनियम की धारा-138 के तहत इन अपराधों के निस्तारण में तेजी आनी चाहिए।

खंडेलवाल ने कहा कि सरकार द्वारा निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 की धारा 138 पर गौर करने की तत्काल आवश्यकता है और चेक जारी करने की साख को बहाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रभावी कदम उठाने की अवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि उपरोक्त मामलों में कड़े प्रावधानों को रखने के लिए इस अधिनियम में संशोधन लाने के अलावा कैट ने सुझाव दिया है कि एक तत्‍काल उपाय के रूप में सरकार को देश में प्रत्येक जिला के स्तर पर फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना करनी चाहिए, ताकि चेक बाउंस के मामलों का समयबद्ध तरीकों से निपटारा किया जा सके।