देहरादून से पौंटा साहिब मार्ग पर स्थित, आसन नदी और यमुना नहर के संगम पर है उत्तराखंड का असन बैराज, भारत का पहला वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व जो लगभग 80 प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों के लिए सर्दियों का घर है और सर्दियों में यह पक्षी अपना रास्ता खोज ही लेते हैं। साल दर साल ये जगह पक्षियों के साथ साथ पर्यटकों का भी लोकप्रिय स्थान बन चुका है। चकराता श्रृंखला की तलहटी में लगभग डेढ़ किलोमीटर में पसरा हुआ यह भारत का पहला वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व है।
असन बैराज में पक्षियों की आवाज वहां आने वाले सभी लोगों का स्वागत करती है,और अगर करीब से देखें तो आप हजारों पक्षियों को नदी के ऊपर क्रीड़ा करते हुए देख सकते हैं। लाल कलगी वाले पोचर्ड, वीजीएम, गुच्छेदार पोचर्ड, हजारों ब्राहम्णी बतख, जंगली बतख, और गडवाल जैसे पक्षी इसके कुछ वार्षिक मेहमान हैं। मध्य एशिया भर से लगभग 6000 प्रवासी पक्षी सर्दियों में इस बैराज को अपना घर बना लेते हैं। गढ़वाल मंडल विकास निगम के विनोद कुमार पैन्यूली बताते हैं कि “यहां पर ज्यादातर अक्टूबर के मध्य से लेकर मार्च के मध्य तक प्रवासी पक्षी आते हैं और ज्यादातर यह साइबेरिया,चाईना,थाईलैंड,पाकिस्तान आदि जगहों से आते हैं।” यह रिर्जव उन लोगों को पैडल नावों की सुविधा भी देते हैं जो इन मेहमानों को करीब से देखना चाहते हैं। वो लोग जो यहां पर रात का लुत्फ उठाना चाहते हैं उनके लिए उचित दामों पर ए.सी और डीलक्स हट की सुविधा उपलब्ध है। उन लोगों के लिए जो रोमांच पसंद करते हैं एक अतिरिक्त आकर्षण कि तरह है अप्रैल,जून और सितंबर से अक्टूबर के महीने जब बहादुर दिल वाले लोगों के लिए वॉटर स्की प्रशिक्षण करवाया जाता है और उस वक्त बैराज प्रवासी पक्षियों से महरुम होता है।
दिल्ली के रहने वाले नावेद और देवरंजन बताते हैं कि “वो यहां इसलिए आए हैं ताकि शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ दिन छुटकारा पा सकें,अच्छा लग रहा यहां दिल्ली की व्यस्ततापूर्ण जीवनचर्या से दूर, यहां एकांत में, बहुत अच्छा पाइंट है यहां पर आकर दिल को संतुष्टि मिलती है क्योंकि दिल्ली में हम सभी लोग काफी व्यस्ततापूर्ण जिंदगी व्यतीत करते हैं तो यहां आकर रिलेक्स हो जाते हैं और यह एक तरह से ताज़गी देने वाला स्पाट है।” पक्षियों का इस बड़े पैमाने पर पलायन एक जादुई पल जो हर किसी को तरोताज़ा और स्फूर्ति से भर देता है और इसे छोड़ने में ऐसा लगता है मानो ये दिल मांगे मोर।