आजाद को ‘गांधी परिवार’ के खिलाफ बोलने की चुकानी पड़ी कीमत

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– संगठन में बदलाव से फायदे में रहे सुरजेवाला

कांग्रेस ने पार्टी कार्यसमिति और अपने केंद्रीय चुनाव समिति में बड़ा बदलाव किया है। इसके साथ अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के नए महासचिवों और प्रभारियों की भी नियुक्ति की गई है। इस दौरान गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित पांच वरिष्ठ नेताओं का नाम महासचिव की सूची से बाहर कर दिया है।

पार्टी संगठन में हुए इस फेरबदल से सबसे ज्यादा नुकसान गुलाम नबी आजाद को हुआ है। ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें गांधी परिवार के खिलाफ बोलने की सजा मिली है। एक ओर जहां आजाद को महासचिव की जिम्मेदारी से मुक्त किया गया है, वहीं उन्हें हरियाणा प्रभारी के पद से भी हटा दिया गया है। इतना ही नहीं सोनिया गांधी के सहयोग के लिए बनी सलाहकार समिति में भी उन्हें जगह नहीं दी गई है। हालांकि आजाद को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) में मात्र सदस्य के रूप रखा गया है।

मालूम हो कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को संगठनात्मक बदलाव के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में गुलामनबी आजाद शामिल थे। ऐसे में माना जा रहा है कि उस ‘पत्र विवाद’ के बाद ही संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया में आजाद का कद घटाया गया है।

दूसरी ओर, संगठन में बदलाव से सबसे ज्यादा फायदे में राहुल गांधी के वफादार रणदीप सिंह सुरजेवाला रहे। सुरजेवाला अब कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह देने वाली उच्च स्तरीय छह सदस्यीय विशेष समिति का हिस्सा बन गए हैं। साथ ही पार्टी महासचिव के पद के साथ उन्हें कर्नाटक का प्रभारी भी बनाया गया है।