बांस के सेल्यूलोज़ और चांदी के सूक्ष्म कणों से वैज्ञानिकों ने एक अनूठे यौगिक का विकास किया है, जो चमड़ी को हुए नुकसान के बेहतर उपचार में सहायक सिद्ध हो सकता है।इससे आने वाले समय में प्रतिजैविक गुणों से परिपूर्ण घावों को ठीक करने वाले कपड़ों के विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
वर्तमान में जख्म को ठीक करने में प्रयुक्त कपड़ों की सामग्रियों के साथ कई तरह की समस्याएं हैं। यहां तक कि कई तो जैविक कोशिकाओं को विषाक्त बना देते हैं।
पंजाब के सेंटर ऑफ इनोवेटिव एंड अप्लाइड बायोप्रोसेसिंग में वैज्ञानिक सुदेश कुमार ने बताया, ‘‘घाव को ठीक करने वाले या कपड़े की सामग्री ऐसी होनी चाहिए जो जख्म के आसपास के हिस्से को नमी प्रदान कर सके। साथ ही यह सूक्ष्म जीवाणु संक्रमण को रोकने में भी सक्षम हो और इसे बिना किसी दर्द के घावों पर से हटाना आसान हो।’’
हिमाचल प्रदेश के सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बॉयोरिसोर्स टेक्नोलॉजी और नई दिल्ली के एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च के अनुसंधानकर्ताओं ने बांस के पत्तों की दो प्रजातियों से निकाले गए सेलूलोज और चांदी के सूक्ष्म कणों का संश्लेषण कराया।इस अध्ययन का प्रकाशन कार्बोहाइड्रेट पॉलिमर जर्नल में हुआ है।