(देहरादून) बुधवार से पूरे प्रदेश में पॉलीथिन पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। सरकार ने पॉलीथिन का व्यापार व उपयोग करने वालों को 31 जुलाई तक का समय दिया था। यह समय सीमा आज खत्म हो रही है। हालांकि, यह फैसला सराकर के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। वर्तमान हालात में तो ये तब और मुश्किल हो जाता है जब इस समय प्रदेश में कई समस्याएं उत्पन्न हो रखी है। मॉनसून की भारी बारिश में आपदा से लेकर चारधाम यात्रा में यात्रियों की सुरक्षा वैसे ही इन दिनों पुलिस व प्रशासन के लिए चुनौती होती है, साथ ही इस समय कांवण यात्रा व हाईकोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण हटाने का महाअभियान चल रहा है। जिसमें प्रशासन से लेकर पुलिस तक ने पूरी ताकत झोंक रखी है। ऐसे हालात में पॉलीथिन पर प्रतिबंध का अभियान चलाना आसान काम नहीं होगा।
31 जुलाई के बाद से पूरी तरह प्रतिबंधित होगी पॉलीथीन
पर्यावरण की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तरखंड राज्य में पॉलीथिन का उपयोग खतरे की घंटी माना जाता रहा है। इसे लेकर सरकार की ओर से कई बारि कदम भी उठाए गए। लेकिन इसे लेकर सरकार की मंशा से लेकर अधिकारियों की इच्छा शक्ति पर हमेशा ही सवाल उठते रहे है। इस बार खुद मुख्यमंत्री ने इस ओर पहल करते हुए 31 जुलाई के बाद पूरे प्रदेश में पॉलीथिन पर पाबंदी लगाने की घोषणा की थी। जो समय सीमा आज समाप्त हो रही है। कल से पूरे प्रदेश में पॉलीथिन के प्रयोग पर पूरी तरंह से प्रतिबंध रहेगा। इस फैसले को लेकर एक ओर जहां पर्यावरण प्रेमियों सहित समाज के एक बड़े तबके में खुशी है, वहीं व्यापारी वर्ग इससे खासा नाराज है। उनका कहना है कि ग्राहक अगर थोड़ा सा भी सामान खरीदता है तो उसे ले जाने के लिए पॉलीथीन की मांग करता है। इसके लिए बाजार में मौजूद विकल्प व कपड़े के बैग बहुत महंगे पड़ते है। वहीं आमजन में भी एक तबका इस फैसले से खुश नहीं है। उनका कहना है कि अगर सरकार को पर्यावरण की इतनी ही चिंता है तो पॉलीथीन बनाने पर ही प्रतिबंध लग जाना चाहिए। जब्कि बाजार में मैगी, दूध, बिस्कुट, बेकरी के उत्पादों सहित कई प्रकार की पॉलीथीन का लगातार प्रयोग हो रहा है। लेकिन सरकार उसपर प्रतिबंध लगाने की बात नहीं करती। इस फैसले की मिली जुली प्रतिक्रिया लाजमी है लेकिन, फिलहाल सरकार के लिए इसे लागू करना ही चुनौती बना हुआ है।