देहरादून। चारधाम यात्रा के शुरू होने के ठीक पहले उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद, नेहरू पर्वतारोहण संस्था, उत्तराखण्ड अंतरिक्ष केन्द्र और वन विभाग की ओर से चारधाम पैदल यात्रा मार्ग को पुनजीर्वित करने के लिए ग्यारह सदस्यीय दल सर्वेक्षण पर भेजा गया है, जो सात मई को गंगोत्री और 29 मई को बद्रीनाथ पहुंचेगा ।
शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि 28 अप्रैल को सर्वेक्षण पर निकला यह दल 30 मई को वापस लौटेगा। सर्वेक्षण का उद्देष्य प्राचीन पैदल यात्रा मार्ग के स्थानीय प्रमुख पड़ावों-चट्टियों को पुनर्जीवित करते हुये स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। साथ ही वहां की जैव विविधता संपदा एवं संस्कृति का अभिलेखीकरण भी करना है।यात्रा को पैदल मार्ग पर प्रचलित किये जाने के लिए आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित करते हुये प्रचार-प्रसार भी की जायेगा।
देहरादून से स्याना चट्टी होते हुये यह दल पैदल मार्ग से यमुनोत्री पहुंचा और वहां से जानकी चट्टी सीमा, दरवा पास, डोडीताल, संगमचट्टी होते हुये सात मई को गंगोत्री पहुंचेगा, जहां कपाट खुलने के पश्चात दल लाटा, बेलक, बूढ़ाकेदार, भैरों चट्टी, घुत्तू, पंवाली कांठा, त्रिजुगीनारायण और गौरीकुंड होते हुये केदारनाथ पहुंचेगा। यहां से ष्वेत पर्वत, कलऊं ,मंदानिया, द्वाराखाल, मार्कन्ड गंगा, काश्नी खर्क, ग्लेशियर कैम्प होते नीलकंठ बेस से दल 29 मई को बद्रीनाथ पहुंचेगा। दल में एनआईएम के प्रधानाचार्य कर्नल बिष्ट के अतिरिक्त चार प्रशिक्षक वन विभाग, एसडीआरएफ के एक-एक प्रतिनिधि तथा एक भू-वैज्ञानिक आदि शामिल हैं। मार्ग में सर्वेक्षण दल विभिन्न स्थानों पर कैम्पों में रात्रिविश्राम करेगा।
दिलीप जावलकर ने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य चारधाम, पैदलयात्रा मार्ग के पुराने पड़ावों, चट्टियों तथा कैम्पों को पुनर्जीवित करना है। ऐसा होने से आस्था के इन प्रतीकों पर अधिक श्रद्धालुाओं को पैदल मार्ग की यात्रा के लिए आकर्षित किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटकों को जहां साहसिक पर्यटन के अवसर मिलेंगे वहीं धार्मिक आस्था के इन प्राचीन केन्द्रों से जोड़ने वाले पैदल मार्गों को एक नई पहचान मिलेगी।