शिक्षक के प्रयासों को मिली सफलता,दिल्ली में हुआ सम्मानित

0
852

हमारी आज की कहानी एक ऐसे स्कूल की है जहां एक अकेला अध्यापक अपने दम पर छात्रों के लिये मेहनत कर रहा है। हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला, विकासखंड धौलादेवी की। अल्मोड़ा से लगभग 50 किलोमीटर टैक्सी से सफर करने और फिर 6 किमी पहाड़ की चढ़ाई करने के बाद इस गांव और स्कूल में पहुंचा जाता है।

इस स्कूल के अध्यापक भास्कर जोशी अकेले पिछले साढ़े पांच साल से स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। खास बात यह है कि इतने दूरस्थ होने के बाद भी इस स्कूल के बच्चें अंग्रेजी मीडियम स्कूल के बच्चों से कम नहीं है।

उनके इन प्रयासों को चार-चांद तब लगे जब बीते 17 अगस्त को नेशनल काउंसिल टीचर एजुकेशन, नई दिल्ली (National council Teacher Education, NCTE Delhi) की रजत जयंती समारोह पर दिल्ली के मानेक्शा केंद्र में इंटरनेशनल कॉंफ्रेंस ऑन जर्नी ऑफ टीचर एजुकेशन लोकल टू ग्लोबल (International conference on Journey of Teacher Education Local to Global) का आयोजन भारत सरकार द्वरा किया गया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री भारत सरकार रमेश पोखरियाल ने शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार के लिए भास्कर जोशी को राष्ट्रीय नवाचारी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला विकासखण्ड धौलादेवी जिला अल्मोड़ा को यह अवार्ड सामुदायिक सहभागिता श्रेणी के अंतर्गत दिया गया और उस नवाचार का नाम है रूपांतर दीवार बच्चे इस नवाचार को प्यार से ‘मेरी दीवार’ कहते है।

भास्कर जोशी के इस काम को और आगे बढ़ाते हुए अल्मोड़ा डीएम नितिन भदौरिया ने रूपांतरण परियोजना को इस स्कूल तक पहुंचाया।

जहां एक तरफ पलायन की मार झेल रहे प्रदेश के सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं, वही इस राजकीय प्राथमिक विद्यालय की छात्र संख्या 10 से बढ़कर 24 हो चुकी है। बेरोजगारी, गरीबी और नशें में डूबे इस क्षेत्र मे कई सामाजिक, शैक्षिक, स्वच्छता व नशा उन्मूलन के कार्यों में हाथ बढ़ाया है, जिससे न केवल क्षेत्र मे शिक्षा का उत्थान हो रहा है, बल्कि क्षेत्र मे लोगों का रुझान सरकारी शिक्षा की तरफ बढ़ रहा है।

इसके अलावा ऐसे बहुत से काम है जो भास्कर जोशी की कोशिशों से मुमकिन हो पाया है। भास्कर के अथक प्रयास से ना केवल गांव के लोग बल्कि दूसरे शहर के कुछ एनजीओ ने उनकी मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है।