मिसालः देघाट के ”भुवी दा” दूर दराज़ के युवाओं को दिखा रहे हैं मार्ग

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मेहनत, हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है और इस बात को सही साबित किया है 26 साल के भुवन चतुर्वेदी ने।

जी हां अल्मोड़ा ज़िले के आखिरी गांव देघाट के रहने वाले भुवन ने ऐसा काम किया है जो औरों के लिए एक प्रेरणा बन गया है। भुवन स्किल ज़ोन- ए फॉर्च्यून टीचिंग (SKILL ZONE -A FORTUNE TEACHING) नाम की संस्था के संस्थापक है और इस संस्था के माध्यम से उन्होंने बहुत से युवाओं को उनके कैरियर में आगे बढ़ने में मदद की है। अपनी इस मुहिम से अब तक भुवन ने पिछले एक साल में हजारों बच्चों की काउंसलिंग की और उन्हें सही निर्णय लेने में सक्षम बनाया है। भुवन की खास बात है कि वह हर उम्र के लोगों के साथ मिलते हैं और उन्हें शिक्षा और उससे जुड़े हर तरह की बातों के लिए जागरुक करते हैं। अपने छात्रों में भुवन प्यार से भुवी दा के नाम से मशहूर हैं।

भुवन का बचपन बहुत ही परेशानियों से गुज़रा और अपनी पढ़ाई बहुत ही कठिनाई से पूरी की। लेकिन हार ना मानते हुए भुवन आगे बढ़ते गए और अलग-अलग जगहों पर काम करने के साथ ही उन्होंने इंटरनेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम में ट्रेनिंग भी की। स्किल इंडिया में नौकरी करने के दौरान भुवन ने सोचा कि राज्य से पलायन करने का मुख्य कारण है लोगों में शिक्षा को लेकर जागरुकता की कमी और तब भुवन ने युवाओं को जगरुक करने की ठानी। अपनी इसी सोच के साथ भुवन आगे बढ़े और स्किल इंडिया की नौकरी को छोड़कर वह गांव-गांव जाकर युवाओं से मिलने लगे और उनकी करियर काउंसलिंग करने लगे। साल 2017 में शुरु हुई भुवन की इस मुहिम में लोग जुड़ते गए और युवाओं को भुवन की मदद से आगे बढ़कर कुछ करने का हौसला मिला।

अपनी इस मुहिम के बारे में बात करते हुए भुवन ने बताया कि “मैं खुद पहाड़ के ऐसे गांव से हूं जहां लोग शिक्षा को इतना महत्व नहीं देते और अच्छे-अच्छे ग्रेजुएट बच्चे भी बहुत सी चीजों से अंजान है। इतना ही नहीं पहाड़ में शिक्षा और जागरुकता की कमी से लड़कियां डिप्रेशन में है और उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है।” भुवन कहते हैं “मैने कैरियर काउंसलिंग की शुरुआत में स्कूली बच्चों से मुलाकात की और अब मैं ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों से भी मिलता हूं। कोई अपना घर छोड़कर नहीं जाना चाहता लेकिन सुविधाओं के अभाव में लोगों को पलायन करना पड़ता है और इसका खामियाजा राज्य भुगत रहा है।”

2017 से भुवन ने कुमाऊं के अलग-अलग जिलों में बच्चों की कैरियर काउंसलिंग की और दूर-दराज के गांवों में भुवन बिना किसी फीस के काम करते हैं। 2 दिन से लेकर एक, तीन, छः महीने तक की वर्कशॉप में भुवन छात्रों में बहुत बदलाव ला देते हैं। कैरियर काउसलिंग के साथ-साथ भुवन छात्रों की इंग्लिश स्पीकिंग,पब्लिक स्पीकिंग,इंटरव्यू के लिए तैयारी,पर्सनालिटी डवलपमेंट और इस तरह की बहुत सी चीजों पर काम करते हैं।

इस समय भुवन के साथ उन्हीं के द्वारा तैयार किए हुए 200 छात्र और काम कर रहे हैं औऱ पहाड़ के छात्रों में अपनी मंजिल को पाने का हौसला भर रहे हैं। इस तरह ये युवा ना केवल छात्रों की मदद कर रहे हैं लेकिन पहाड़ से हो रहे पलायन को रोकने में भी मदद कर रहे हैं।

भुवन का मानना है कि राज्य से बाहर जाकर किसी और के लिए काम करने से बेहतर है अपने राज्य में रहकर यहां का भविष्य सुधारा जाऐ ताकि आने वाले कल और भी बहुत से भुवी दा तैयार हो।अल्मोड़ा,नैनीताल और उधमसिंह नगर में अपने वर्कशॉप करने के बाद अब भुवन चमोली गढ़वाल में भी आने का विचार कर रहे हैं और आशा करते हैं कि चमोली से भी कुछ छात्रों को प्रेरित कर पाऐंगे।

हालांकि भुवन इस काम से बहुत ज्यादा पैसे नहीं कमा रहे क्योंकि उनकी ज्यादातर वर्कशॉप बिना किसी फीस की होती है लेकिन भुवन अब वह कर रहे जो वह करना चाहते थे। तो अगर आप में से कोई भी भवन की मदद के लिए आगे आना चाहता है तो वह सीधे भुवी दा से बात कर सकता है।