शिक्षा मंत्री के गृह जनपद में शिक्षा का बडा फर्जीवाडा चल रहा है, यहां मदरसों के नाम पर सरकारी धन की जमकर बंदरबांट चल रही है, जबकि जमीनी हकिकत तो ये है कि मदरसों के नाम पर महज कागजी कोरम पुरे किये गये हैं और बच्चों की फर्जी संख्या बताकर सरकारी लाभ लिया जा रहा है, यही नहीं मदरसा भवन में एक साथ दो दो स्कूल संचालित किये जा रहे है, मदरसों के भोतिक सत्यापन की जांच शुरु होते ही मदरसा संचालकों में हडकम्प मचा है और सबी सेटिंग गेटिंग के खेल में जुट गये हैं।
प्रदेश में शिक्षा का स्तर लगातार गिरते जा रहा है जिसके लिए कई बार हाईकोर्ट सरकार को फटकार भी लगा चुकि है, बावजूद इसके प्रदेश की शिक्षा विभाग का सिस्टम है कि सुधरने का नाम नहीं ले रहा है, सूबे के शिक्षा मंत्री के ही गृह जनपद का हाल ये है कि यहां शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड किया जा रहा है, और योजनाओं का लाभ लेने के लिए स्कूल प्रबन्धक फर्जीवाडे का विघालय चला रहे हैं..जिस सूबे के शिक्षा मंत्री के गृह जनपद में ही शिक्षा का फर्जीवाडा चल रहा हो उस प्रदेश की शिक्षा का सिस्टम कितना बेहतर होगा ये अंदाजा आप लगा सकते हैं, मदरसों के नाम पर चल रहे फर्जीवाडे के भौतिक सत्यापन की शुरवाती जांच में ही अधिकारियों को चौंकाने वाले परिणाम मिले, मदरसे के नाम पर ना तो यहां बच्चे पढते हैं और ना ही कोई स्टाफ है, दस्तावेजों पर मदरसा चलाया जा रहा है जबकि स्कूल के नाम पर कोई मान्यता नहीं है,यही नहीं मदरसे के सभी लाभ इसके प्रबन्धक द्वारा लिए जा रहे हैं, वहीं जब इसकी जांच शुरु हुई तो मदरसा प्रबन्धकों ने कागजों में लीपापोती शुरु कर दी।
सराकर द्वारा प्रदेश के अल्पसंख्यक बच्चों को शिक्षा मुहैय्या कराने के लिये प्रदेश सरकार द्वारा मदरसा बोर्ड से मदरसों को पंजीकृत कर तमाम तरह की सहूलियतें दी जा रही हैं।अकेले जसपुर की बात करे तों यहाॅ लगभग आधा दर्जन से अधिक ऐसे तथाकतिथ मदरसों को केन्द्र व राज्य सराकर की येाजनाओं के तहत अब तक करोडों रूपये मुहयया करा चुकी है,जबकि जो सही तरीके से मदरसे संचालित कर रहे हैं उनको जर्रा भर भी नसीब नहीं हुआ। शिक्षा विभाग व अल्पसंख्यक विभाग की संयुक्त टीम द्वारा किये जा रहे मदरसों के भौतिक सत्यापन के दौरान व्याप्त अनियमित्ताए उजागर हो रही हैं।
शासन द्वारा मदरसों के नाम पर चल रही शिक्षण संस्थाओं की जमीनी हकीकत जाने के लिये कराया जा रहा भौतिक सत्यापन जैसे जैसे आगे बड रहा रहा है वैसे वैसे तथाकतिथ मदरसों में व्याप्त अनियमित्ताये उजागर हो रही हैं,यदि जाॅच पूरी गम्भीरता से हुई तो मदरसों के नाम पर करौडों के सरकारी पैसे का गोल माल सामने आ सकता है। वहीं देखने वाली बात ये हैं कि आखिर भौतिक सत्यापन करने वाली टीम कितनी इमानदारी से अपना काम करती है।