जनपद पौड़ी के कल्जीखाल ब्लाक स्थित सीरों गांव के मूल निवासी तीरथ सिंह रावत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है। किसान परिवार में जन्मे तीरथ का यह सफर संघर्षपूर्ण रहा। वह छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे। गढ़वाल विश्वविद्यालय के बिड़ला परिसर श्रीनगर छात्रसंघ केअध्यक्ष रहे। तीरथ को विधानमंडल दल का नेता चुने जाने की घोषणा होते ही भाजपा के आनुसांगिक संगठनों और मातृ संगठन में खुशी की लहर है। सहज, सरल व सौम्य स्वभाव के धनी तीरथ सिंह रावत जनता के बीच काफी लोकप्रिय हैं। संगठन के प्रति सर्मपण की भावना और राजनीति में बेदाग छवि उन्हें मुख्यमंत्री के पद तक ले गई।
तीरथ सिंह रावत का जन्म 9 अप्रैल 1964 को कलम सिंह रावत और गौरा देवी के घर हुआ था। तीरथ अपने छह भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। छात्र जीवन में तीरथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े। वर्ष 1991-92 में वह छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। इस दौरान उन्हें छात्रसंघ मोर्चा उत्तर प्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। तीरथ अभाविप के उत्तरांचल प्रांत संगठन मंत्री व राष्ट्रीय मंत्री भी रहे हैं।
वह 1983 से 1988 तक संघ के प्रचारक रहे। उन्हें भाजयुमो उत्तर प्रदेश में प्रदेश उपाध्यक्ष व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी बनाया गया। वर्ष 1997 में तीरथ यूपी विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) रहे। इस दौरान नवम्बर 2000 में नवगठित उत्तराखंड राज्य की अंतरिम सरकार में उन्हें शिक्षा मंत्री का दायित्व सौंपा गया।
उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में तीरथ पहली बार पौड़ी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। वर्ष 2007 में तीरथ विधानसभा सीट पौड़ी से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। नए परिसीमन के बाद वर्ष 2012 में तीरथ सिंह रावत चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से चुनाव जीते। फरवरी 2013 में उन्हें भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसे उन्होंने जनवरी 2016 तक निभाया। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में सिटिंग विधायक होने के बावजूद तीरथ का टिकट काट दिया गया। फरवरी 2017 में तीरथ को भाजपा के राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई।
वर्ष 2019 में उन्हें गढ़वाल लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मनीष खंडूड़ी को 2 दो लाख 85 हजार से अधिक मतो से हराकर लोकसभा में प्रवेश किया। 6 मार्च 2021 को प्रदेश की राजनीति में हलचल को देखते हुए तीरथ को दिशा की बैठक के बीच हाईकमान ने देहरादून तलब किया लेकिन मुख्यमंत्री के दावेदारों में मीडिया व राजनीतिक गलियारों में कभी उनकी चर्चा नहीं हुई। 10 मार्च को विधायक मंडल दल की बैठक में तीरथ के नाम की घोषणा होने से भाजपा ने सबको चौंका दिया।