उत्तराखंड सहित 10 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि

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बर्ड फ्लू
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देश में सोमवार को दो और राज्यों के पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि के साथ इस घातक बीमारी से ग्रसित राज्यों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है।
अब तक केरल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में बर्ड फ्लू की पुष्टि की जा चुकी है। पशु पालन विभाग के अनुसार आईसीएआर-एनआईएचएसएडी ने राजस्थान के टोंक, करौली, भीलवाड़ा जिलों और गुजरात के वलसाड, वडोदरा और सूरत जिलों में कौवों और प्रवासी/जंगली पक्षियों की मौत होने की पुष्टि की है।
इसके अलावा, उत्तराखंड के कोटद्वार और देहरादून जिलों में भी कौवों की मौत होने की पुष्टि हुई है। नई दिल्ली में कौवों बत्तखों की मौत बर्ड फ्लू से हुई है। महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, दापोली और बीड में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। पशु पालन विभाग ने राज्यों से जनता में जागरूकता पैदा करने और गलत जानकारी का प्रसार रोकने के लिए अनुरोध किया गया है। राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि जल निकायों, पक्षी बाजारों, चिड़ियाघरों, पोल्ट्री फार्मों आदि के आसपास निगरानी बढ़ाएं, पक्षियों के शवों का उचित निपटारा करें और पोल्ट्री फार्मों में जैव-सुरक्षा को मजबूत बनाएं। इसके अलावा, कुल्लिंग परिचालनों के लिए आवश्यक पीपीई किटों और सहायक उपकरणों का भी पर्याप्त भंडारण किया जाए।
उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने इस बारे में एडवाइजरी जारी की है, जिसमें मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे बर्ड फ्लू को लेकर सतर्क रहें। सभी जनपदों को एंटीवायरल औषधि ओसेल्टामिविर की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को कहा गया है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ अमिता उप्रेती ने बर्ड फ्लू की रोकथाम व नियंत्रण के लिए अधिकारियों को जारी निर्देश में कहा है कि जनपद स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम गठित की जाए। उसमें पशुधन प्रसार विभाग से वेटनरी ऑफिसर को भी शामिल किया जाए। टीम को किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित कर दिया जाे, ताकि बाद में किसी तरह की परेशानी न हो। इसके साथ ही जनपद स्तर पर पर्याप्त मात्रा में एंटी वायरल औषधि ओसेल्टामिविर, पीपीई किट, एन-95 मास्क आदि की व्यवस्था कर ली जाए।
स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा है कि सभी सीएमओ, पशुधन प्रसार विभाग, वन विभाग, पंचायती राज विभाग, खाद्य संरक्षा विभाग आदि समन्वय बैठक करें। पशुधन प्रसार विभाग व वन विभाग से समन्वय बनाते हुए किसी भी प्रकार के पक्षियों की सामूहिक/आकस्मिक मृत्यु पर निगरानी रखें। कोई असामान्य घटना रिपोर्ट होने पर तत्काल आईडीएसपी (एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम) राज्य यूनिट को सूचना जरूर दें। इसमें किसी भी तरह की कोताही न बरतें, क्योंकि लापरवाही भारी पड़ सकती है।