भाजपा ने उत्तराखंड को बेच दिया: हरीश रावत

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कांग्रेस किसी भी मौके पर भाजपा को घेरने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहती। अब जब उत्तर प्रदेश के साथ परिसंपत्तियों का विवाद सुलझने की ओर है, ऐसे में कांग्रेस फिर हमलावर हो गई है। भाजपा इसे धामी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित कर रही है। वहीं कांग्रेस ने भाजपा पर उत्तराखंड के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए का का दरवाजा खटखटाने का ऐलान कर दिया है।

सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सूबे की धामी सरकार ने उत्तराखंड को बेच (सेल आउट) दिया है। उनका आरोप है कि सरकार ने राज्य के हितों को ही पलीता नहीं लगाया है बल्कि भावी पीढ़ियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सरकार ने आंख बंद करके जिस तरह से केंद्र सरकार के इशारे पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की बेहतर पोजीशन दिखाने के लिए जिस तरह उत्तराखंड के हितों के साथ समझौता किया गया है, उसे कतई भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में वह बहुत जल्द टीएचडीसी के उन मुद्दों को लेकर जो न्यायालय में लंबित है, को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे। उन्होंने कहा कि जिन मामलों को लेकर उत्तराखंड अदालत में लड़ाई लड़ रहा था उन्हें वापस लेने से पहले उनकी बात भी सुनी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस फैसले के जरिए उत्तराखंड के अधिकारों को गिरवी रख दिया है। उत्तराखंड परिवहन को इस बंटवारे में राज्य को सात आठ सौ करोड़ मिलना चाहिए था लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार 205 करोड़ दे रही है और उत्तराखंड सरकार खुश हो रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य हित की इस लड़ाई को पूरी ताकत से लड़ेगी।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड सरकार और भाजपा नेता 21 साल पुराने इस परिसंपत्ति बंटवारे को हल करने के लिए अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। भाजपा इसे सरकार की बड़ी सफलता बताकर इसका चुनाव में लाभ लेने का प्रयास करेगी। 5700 हेक्टेयर जमीन, 1500 भवनों के ज्वांइट सर्वे में 15 दिनों में फैसले की बात का अभी जमीन पर उतरवाना भी बकाया है। कांग्रेस के इस बंटवारे पर सवाल खड़े करने से यह मामला फिर उलझ सकता है। यह भी हो सकता है कि कांग्रेस का यह विरोध भी चुनावी विरोध हो लेकिन इस बंटवारे पर अब सियासी जंग का तेज होना तय है।