राजनीतिः बीजेपी का 2 से 282 तक का सफर

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हरिद्वार। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की संसद में कहे वह शब्द आज अक्षरस सत्य साबित हो रहे हैं। बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने अटल बिहारी वाजपेयी ने नई पार्टी के गठन के समय वाजपेयी ने कहा, मैं भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर यह भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा। आज स्थिति ठीक वैसी ही है। आज देश के 21 राज्यों में भगवा लहरा रहा है। 38 साल पहले किसी ने सोचा नहीं था कि जिस भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी जा रही है, वह एक दिन वटवृक्ष का रूप धारण कर लेगी। इंदिरा गांधी के समय में भी कांग्रेस पार्टी का इतना विस्तार नहीं हुआ था, जितना विकास भाजपा का हुआ है। भाजपा आज यह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है।
भाजपा ने 38 साल की अपनी यात्रा में अटल, आडवाणी, अटल-आडवाणी युग और मोदी-शाह युग देखे हैं। आज बीजेपी का स्थापना दिवस है। इस कारण भाजपा ने तीर्थनगरी हरिद्वार में इसे धूमधाम से मनाया। देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी भारतीय जनता पार्टी का गठन 6 अप्रैल 1980 को हुआ था। उसके पहले इसे जनसंघ के नाम से जाना जाता था। जनसंघ की स्थापना 1951 को हुई थी। इसके नेता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी बने। शुरुआती दौर में जनसंघ ने कश्मीर, कच्छ और बेरुबारी को भारत का अभिन्न अंग घोषित करने का मुद्दा जोरशोर से उठाया। जमींदारी और जागीरदारी प्रथा का भी जमकर विरोध किया। पार्टी की लोकप्रियता कई राज्यों में थी। शायद यही कारण था कि साल 1967 के चुनावों में जनसंघ और वामपंथियों ने कई राज्यों में साझा सरकारें भी बनाई थीं। पर, यह सहयोग ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका। पार्टी के नेता पं. दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु के बाद कमान अटल बिहारी वाजपेयी को सौंपी गई, लेकिन साल 1971 के चुनाव में पार्टी को खास सफलता नहीं मिली। आंदोलन के बावजूद वर्ष 1975 में इंदिरा सरकार ने आपातकाल लागू कर दिया। बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया। उनके इस कदम से कांग्रेस सरकार की लोकप्रियता घट गई थी। इसलिए आपातकाल के बाद हुए 1977 के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई। केन्द्र में जनता पार्टी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी। साल 1980 में जनसंघ ने अपने को पुनर्गठित कर नया नाम भारतीय जनता पार्टी रखा। इसका चुनाव चिन्ह कमल रखा गया। साल 1984 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को केवल दो सीटें मिली थीं। पार्टी ने 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता-दल के साथ गठबंधन किया था। भाजपा को 89 सीटें मिलीं। साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 120 सीटों पर सफलता मिली। साल 1992 में आडवाणी ने एक और यात्रा निकाली। पर, छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में हुई एकत्रित भीड़ द्वारा बाबरी मस्जिद गिरा दिए जाने से भाजपा पर कई तरह के आरोप लगने लगे। पार्टी पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगा। तब पार्टी की चार राज्यों में सरकार थी। केन्द्र सरकार ने भाजपा की चारों सरकारों को बर्खास्त कर दिया। वर्ष 1996 में 13 दिनों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी। पार्टी के पास 161 सांसद थे। साल 1998 में हुए लोकसभा के चुनाव में भाजपा को 182 सीटें मिली। पार्टी ने अन्य दलों के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का गठन किया। फिर भी वाजपेई की सरकार 13 महीने में ही गिर गई। साल 2014 के आम चुनावों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने भाजपा को शिखर तक पहुंचा दिया। मोदी-शाह 2014 के चुनाव में स्टार प्रचारक रहे। इस जोड़ी का देश में ऐसा जादू चला कि भाजपा को अकेले दम पर 282 सीटों पर जीत मिली। यह जीत भाजपा के इतिहास की सबसे बड़ी जीत है। 1984 के बाद पहली बार किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत मिली।
इसके बाद मोदी ने करिश्माई नेतृत्व का जादू दिखाते हुए भाजपा को देश के 21 राज्यों में सत्ता में काबिज करा दिया। अब भाजपा के सामने वर्ष 2019 चुनौती के रूप में खड़ा है। पार्टी के स्थापना दिवस पर वर्ष 2019 को लेकर भी अप्रत्यक्ष रूप से मंथन किया गया।