उत्तराखंड हिमालय की शान भरल पर खतरा

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     गंगोत्री। उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्रों की शान माने जाने वाले जीव भरल जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं। कारण क्या है यह किसी को पता नहीं।आपको बतादें कि ये एक बहुत ही दुर्लभ जीव हैं जिसे स्थानीय भाषा मे भरल (Blue sheep ) भी कहते हैं।लेकिन पिछले दिनों बीएसएफ के ट्रेकिंग दल जो की गंगोत्री वाइल्ड लाइफ सेन्च्युरि से केदार ताल की ओर जा रहे थे को उन्होंने इन जीवों मे एक अजीब सा संक्रमण देखा।इस बीमारी के कारण इनकी आँखो की पुतलियों से खून निकल कर पुतलियां झड़ रही है और यह अंधे होकर धीरे धीरे मर रहे है।

    गंभीर यह कि पार्क प्रशासन को इसकी जानकारी ही नहीं थी।बीएसएफ से मिली जानकारी के बाद ही वनाधिकारी हरकत में आए। आनन-फानन में रोग से पीड़ित एक भेड़ का नमूना इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइवीआरआइ) बरेली को भेजा गया।साथ ही मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीबीएस खाती ने आइवीआरआइ बरेली के निदेशक को पत्र भेजकर भरल को चपेट में लेने वाले रोग की गहन जांच का आग्रह किया। पत्र में आइवीआरआइ के एक विशेषज्ञ दल को गंगोत्री नेशनल पार्क भेजने की गुजारिश भी की गई है।

    मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीबीएस खाती के मुताबिक जो नमूना जांच के लिए आइवीआरआइ बरेली को भेजा गया था, उसमें आतों में इन्फेक्शन की बात सामने आई है। हालांकि आइवीआरआइ के पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख राजेंद्र सिंह का कहना है कि उन्होंने उस नमूने की जांच की जो वन विभाग से प्राप्त हुआ। स्पष्ट तौर पर तब ही कुछ कहा जा सकता है, जब पूरी भेड़ सामने हो और वह अपने मुताबिक नमूने ले सकें। क्योंकि यह मामला आंतों में इन्फेक्शन के साथ ही कुछ और भी हो सकता है।

    यही वजह है कि बरेली सैंपल भेजने के बाद भी राज्य के वन विभाग ने भरल को चपेट में लेने वाले रोग की गहन जांच कराने का निर्णय लिया है। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीबीएस खाती ने बताया कि भरल की आंखें बाहर निकलने के मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट को रोग का पता लगाने के लिए पत्र भेजा गया है। संबंध में अन्य किसी भी जांच के लिए राज्य की तरफ से बजट भी मुहैया कराया जाएगा।

    बीएसएफ ने भरल मे जो बीमारी देखी उसका संक्रमण अन्य जीवों मे भी फैल सकता है। लेकिन भरल पर खतरे के बादल मंडरा रहे हे जिसके कारण इसकी प्रजाति खतरे के निशान पर आ गई है ।

    यहां देखें भरल का विडियोः