देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के कैंट थाना क्षेत्र के बीरपुर में लोहे का पुल टूटने से बड़ा हादसा हो गया। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई। हादसा शुक्रवार सुबह लगभग 05:30 बजे हुआ। सूचना पर पुलिस बल रेस्क्यू उपकरणों के साथ मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों व सेना के जवानों की सहायता से घायल दोनों लोगों को रेस्क्यू कर सिनर्जी अस्पताल भर्ती में कराया है।
आसपास मौजूद लोगों ने बताया कि बीरपुर स्थित पुल काफी पुराना था। शुक्रवार तड़के समान से भरा हुआ डम्फर व दो बाइक सवार पुल क्रास कर रहे थे कि पुल अचानक गिर गया। इस हादसे में मोटरसाइकिल सवार प्रेम थापा (40) पुत्र तारा थापा निवासी डागरा देहरादून की मौके पर ही मौत हो गई। उपचार के दौरान मोटरसाइकिल सवार दूसरे व्यक्ति धन बहादुर थापा (54) पुत्र आरएस थापा निवासी बीरपुर देहरादून की भी मौत हो गई। घायल शाहरूख (24) पुत्र शगीर हसन निवासी ढकरानी और जुल्फकार (20) पुत्र शमीर हसन निवासी ढकरानी देहरादून जो कि डम्फर में सवार थे सिनर्जी में उपचाराधीन हैं। मृतक प्रेम थापा पेशे हलवाई थे जिनकी बीरपुर में मिठाई की दुकान थी। मृतक धन बहादुर थाना एक्स आर्मी के जवान थे। वह पुलिस लाइन देहरादून की परिवहन शाखा में संविदा में कार्यरत थे। घटना के कारणों की जांच की जा रही है।
एनओसी न मिलने के कारण नए पुल निर्माण में हुई देर
बीरपुर में पुल गिरने से दो व्यक्तियों की मौत पर मसूरी विधायक गणेश जोशी ने दुख प्रकट किया। उन्होंने कहा कि वह इस घटना से बहुत ही स्तब्ध हैं। उन्होंने सिनर्जी अस्पताल में भर्ती घायल व्यक्तियों के शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना की है। नए पुल निर्माण में देरी के कारण हुआ हादसा। सेना से अनापत्ति नहीं मिलने के कारण वर्षों से अटका था मामला।
विधायक जोशी ने कहा कि हाल ही में अनापत्ति प्राप्त हुई है और इसके बाद पुल की जीर्णशीर्ण स्थिति को देखते हुए लोक निर्माण विभाग द्वारा 237 लाख के आगणन को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वीकृति प्रदान कर इस योजना का शिलान्यास भी कर दिया है। उल्लेखनीय है कि विगत 09 दिसम्बर को गढ़ी कैंट में 32 मीटर स्पान के नए पुल के निर्माण का शिलान्यास हो गया है और बहुत जल्द पुल निर्माण का कार्य पूर्ण होगा। उन्होनें कहा कि सेना द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र न दिए जाने के कारण यह हादसा हुआ। बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा एक वर्ष पूर्व सब एरिया से पुल निर्माण के लिए अनुमति मांगी गई थी और बताया था कि पुराने पुल को धराशाही कर वैली पुल बनाए जाने की योजना है तथा इसके समानान्तर नया पुल तैयार किया जाएगा, लेकिन सेना ने इसकी अनुमति नहीं दी। उन्होनें कहा कि वह पूर्ववर्ती सरकारों में भी इस पुल के निर्माण के लिए प्रयास करते रहे किन्तु स्वीकृति प्राप्त नहीं हो सकी, जिस कारण से पुल निर्माण में देरी हुई।