चमोली जिले के पिंडर घाटी में पिछले लंबे समय से पुलों की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है। अभी पिछले बुधवार को थराली का मुख्य पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। गनीमत यह रही कि प्रातः सफाई कर रहे सफाई कर्मी की नजर उस पर पड़ गई और उसके माध्यम से जानकारी जनता और संबंधित विभाग को मिली तब वाहनों का संचालन रोक दिया गया। अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
कामोवेश यही स्थिति अन्य पुलों की भी है,जो कभी भी हादसे में बदल सकती है। गधरों को जोड़ने वाले झूला पुलों की स्थिति और भी दयनीय है। पिण्डर नदी पर बने दो अन्य पुल भी लंबे समय से चेतावनी के साथ चल रहे है। समय रहते इन पर ध्यान नही दिया गया तो पिंडर घाटी पुनः एक बार आपदा के मुंहाने पर खड़ी हो सकती है।
केस नम्बर एक-
स्थान नारायण बगड़, ग्वालदम-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग 109 पर बना पुल पिछले पांच वर्षों से वैली ब्रिज के भरोसे चल रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने इस पुल पर हमेशा ही छमता से अधिक वाहनों का गुजरना किसी भी दुर्धटना के रूप में परिवर्तन हो सकता है।
केस नम्बर दो-
नारायण बगड़-परखाल मोटर मार्ग पर बना पुल अपने निर्माण काल से ही लोहे की प्लेटों के सहारे चल रहा है। अधिकांश प्लेट तिरछी हो चुकी है। चेतावनी का बोर्ड लोनिवि की ओर से लगाया गया है।
केस नम्बर तीन–
पिंडर नदी पर बना थराली का मुख्य पुल 2013 की आपदा में क्षतिग्रस्त हुआ था, रिपेयर के बाद पुनः पिछले बुधवार को ओवरलोडिंग का शिकार हुआ। अब इस पर यातायात बंद है, जिस कारण थराली, देबाल के चार सौ से अधिक गांवो के ग्रामीणों का सम्पर्क टूटा है। 40 किलोमीटर से अधिक अन्यत्र सफर इन्हें तय करना पड़ रहा है।
केस नम्बर चार–
थराली- देवाल मोटर मार्ग पर सुनगाड़ गधेरे का पुल भी खतरे की जद में है। इस पर भी पिछले समय से खनन से भरे ट्रैकों ने ओवरलोडिंग की है। जो कि अब वाहनों के आते जाते काफी हिल रहा है।
बोले विधायक–
थराली के विधायक भूपाल राम टम्टा भी मानते हैं कि समस्या विकट है। उन्होंने कहा कि पुलों की स्थिति खराब है,परखाल एवं नारायण बगड़ का वैली ब्रिज उनकी प्राथमिकता में है। तकनीकी टीम के माध्यम से अन्य पुलों का सर्वेक्षण कराकर शासन स्तर से अविलंब सम्बंधित स्वीकृतियां कराई जाएंगी।