कैंसर से बचाव में मददगार ब्रोकली की खेती से किसानों के घर छाई खुशहाली 

0
1392
किसान इन दिनों खेती में नित नए प्रयोग कर रहे हैं। इससे एक ओर उनकी आर्थिक हालात काफी अच्छी हो रही है तो दूसरी ओर पर्वतीय क्षेत्रों में उपजने वाले ब्रोकली जैसी सब्जी का उत्पादन होने से लोग इस ताजी सब्जी का स्वाद चख रहे हैं।
कैंसर रोगियों के लिए वरदान यह ब्रोकली, किसानों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाली फसल है।किसानों ने इसकी समुचित उपज पैदा कर यह साबित कर दिया कि हम कुछ भी कर सकते हैं। आसपास के किसानों को जब इसकी जानकारी मिली तो वह भी पौध ले आकर खेतों में लगाए। मंडी में यह चार सौ से पांच हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रही है। फूलगोभी लगने के बाद एक बार फलता है और उसकी पौध खत्म हो जाती है जबकि ब्रोकली का पौधा तीन से चार बार तक फसल देता है। एक तो तीन-चार फसल, ऊपर से दस गुणा अधिक दाम। इसके कारण किसान समृद्ध हो रहे हैं। उनमें खेती के प्रति ललक जग रही है। दिनों दिन इसकी खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है।
किसानों ने बताया कि समारोहों में सलाद एवं सब्जी के रूप में ब्रोकली का प्रयोग और बाजार में बढ़ती मांग देखकर ब्रोकली की खेती करने का आइडिया मिला। यह लगभग एक सौ दिनों में तैयार हो जाती है। आम गोभी की तरह ही ब्रोकली की सिंचाई भी छह से सात बार करते हैं और दो से तीन बार निराई करनी पड़ती है। उनका मानना है कि पारम्परिक खेती की जगह सब्जियों की खेती कर कम लागत में अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है। इससे किसानों के अच्छे दिन आ जाएंगे। जानकार बताते हैं कि बदलते जीवन स्तर, खानपान की आदतें और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के कारण ब्रोकली की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है। उत्कृष्ट स्वाद के साथ कई विटामिन, खनिजों और बायो-एक्टिव यौगिकों का एक समृद्ध संसाधन ब्रोकली की लोकप्रियता विटामिन सी, फोलिक एसिड, पोटेशियम और फाइबर जैसे उच्च तत्वों के उपलब्धता तथा इंटरनेट की सहजता के कारण बढ़ गई है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर, कुरकुरे स्वाद, कैंसर का जोखिम कम करने वाले फाइटोन्यूट्रिएन्ट, बायोएक्टिव यौगिकों, ग्लूकोसाइनोलेट, सल्फर युक्त यौगिकों से भरपूर है।
प्रगतिशील सब्जी उत्पादक सज्जाद ने बताया कि सर्दियों में गोभी और फूलगोभी जैसी सब्जियां औने-पौने दामों पर बिकती हैं। इसके कारण हम किसान नई सब्जी की फसल की तलाश में रहते हैं, जो आय में वृद्धि सुनिश्चित कर सकें। एक समय था जब अधिक मूल्य के कारण विदेशी कही जाने वाली सब्जियां आम आदमी की पहुंच से बाहर थीं। धीरे-धीरे इनकी मांग बढ़ी और बाजार में मांग देख स्थानीय किसान उत्साहित हुए और जिद की खेती कर बेगूसराय में कई प्रकार की सब्जियां उगाई जाने लगी हैं। इनमें ब्रोकली भी एक है।