कड़ाके की सर्दी और शीत लहर से जहां आम जनजीवन प्रभावित है, वहीं पशुओं के भी बीमार होने का खतरा कम नहीं है। अगर इस मौसम में पशुओं के रहन-सहन और आहार का ठीक तरह से इंतजाम नहीं किया गया तो पशु के स्वास्थ्य व दुग्ध उत्पादन की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
पशु चिकित्सक की सलाह है कि ठंड के मौसम में पशुपालक अपने पशुओं को संतुलित आहार दें। सीधी हवा से बचाएं।अधिक कोहरे और शीत लहर की वजह से पशुओं में निमोनिया जैसी खतरनाक बीमारी होने का अंदेशा रहता है। इस बीमारी से उचित देखभाल के जरिए ही पशुओं को बचाया जा सकता है। यह बीमारी खासकर बछड़ों पर जल्दी असर करती है।
जनवरी के महीने में कंपकंपाती ठंड से न सिर्फ इंसानों के बीमार होने का खतरा है, बल्कि पशुओं के भी बीमार होने का डर है। ऐसे में पशुपालकों को पशुओं की ज्यादा देखभाल करने की जरूरत है। हमारी जरा सी लापरवाही पशु की जान ले सकती है। ऐसे में जरूरी है कि समय समय पर पशुओं की देखरेख की जाए। पशुपालकों को चाहिए कि कोहरे में पशुओं को अंदर कमरे में बांधे और उसके दरवाजे पर कोई कपड़ा टांग दें, जिससे हवा जानवर के पास तक नहीं पहुंच पाए। पशु के बैठने की जगह रोज नया पुआल डालें। रखा हुआ पानी हरगिज न पिलाएं, हमेशा ताजा पानी पिलाएं, पशु के ऊपर किसी गर्म कपड़े का झूल सिलकर डाल दें। बछड़ों को कोहरे में बाहर न बांधे।
पशु चिकित्साधिकारी राजेश रतूड़ी कहते हैं कि, “इन दिनों में पशुओं को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। पशुओं के खान-पान व दूध निकालने का समय एक ही रखना चाहिए। इसके अलावा ठंड में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से चलाए जाने वाले विशेष टीकाकरण अभियानों में टीके लगवाने चाहिए, पशु ठंड के मौसम में निरोग रह सके।”