सीबीएसई को सौंपी जा सकती है प्रदेश के सरकारी स्कूलों की कमान!

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देहरादून। प्रदेश के सरकारी स्कूलों को बेहतर करने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के मकसद से सरकार व शिक्षा विभाग निरंतर प्रयासरत है। यही कारण है कि कभी स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए मॉडल स्कूल, तो कभी शिक्षकों को अपग्रेड करने के लिए विशेष प्रशिक्षण तो कभी बच्चों के साथ ही शिक्षकों का भी रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया। लेकिन इसके बाद भी कोई सकारात्मक बदलाव देखने को नहीं मिले। अब सरकार नए सिरे से एक ओर पहल करने जा रही है। पहल के तहत प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों को सीबीएसई के अधीन करने पर विचार किया जा रहा है। ताकि सरकारी स्कूलों की शिक्षा ​व्यवस्था को नपटरी पर लाया जा सके। इसे लेकर सीबीएसई के अधिकारियों से भी बातचीत जारी है। सब ठीक रहा तो जल्द ही प्रदेश के सरकारी स्कूल सीबीएसई से संबद्ध होंगे।
सीबीएसई अधिकारियों से बातचीत शुरू
प्रदेश के स्कूलों को सेंट्रल बोर्ड आॅफ स्कूल एजुकेशन यानि सीबीएसई से संबद्ध करने के बाद उत्तराखंड बोर्ड आॅफ स्कूल एजुकेशन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। दरअसल, स्कूलों को सीबीएसई के अधीन किए जाने को लेकर खुद प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे प्रयासरत है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे और सीबीएसई के अधिकारियों के बीच हाई स्कूलों और इंटर काॅलेजों को सीबीएसई के अधीन लाने के लिए बातचीत शुरू हो गई है। पांडेय ने अनौपचारिक बातचीत में माना की वे सीबीएसई पाठ्यक्रम की दृष्टि से जानकारियां प्राप्त कर रही हैं और इस संदर्भ में प्रयासरत हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय चाहते हैं कि उत्तराखंड के हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के विद्यार्थी तकनीकी दृष्टि से राष्ट्रीय स्तर पर सीबीएसई बोर्ड के पाठ्यक्रम शिक्षा के लिए तैयार करें, ताकि वे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में उच्च सफलता प्राप्त करें। इन्हीं प्रयासों के तहत उत्तराखंड बोर्ड के सभी सरकारी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज जल्द सीबीएसई के अधीन लाने का प्रयास हो रहा है ताकि उत्तराखंड के विद्यार्थी सीबीएसई की शिक्षा व्यवस्था से लाभान्वित हो।
नहीं रहेगा उत्तराखंड बोर्ड का अस्तित्व
प्रदेश सरकार और सीबीएसई के बीच इस संबंध में बातचीत शुरू हो गई है। यदि ऐसा संभव हो पाता है तो उत्तराखंड बोर्ड का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि शिक्षा विभाग तकनीकी पक्षों को जांचे परखे बगैर यह कदम उठाएगा। लेकिन, इस संदर्भ में बातचीत प्रारंभ हो गई है। इस योजना के पूर्ण होते ही प्रदेश के करीब 2300 हाईस्कूल व इंटर कॉलेज, उत्तराखंड बोर्ड से हटकर सीबीएसई से मान्य हो जाएंगे। इन सभी कॉलेजों में फिर सीबीएसई के नियम ही लागू होंगे। स्कूलों के सीबीएसई के अधीन आने से देहरादून क्षेत्रीय कार्यालय का भार बढ़ जाएगा। दिल्ली और छत्तीसगढ़ में पहले से सभी सरकारी हाईस्कूल और इंटर कॉलेज सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं। इन राज्यों में राज्य माध्यमिक शिक्षा परिषद का कोई अस्तित्व नहीं है। उत्तर प्रदेश से अलग होने के कारण उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिष की तरह ही उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षा की व्यवस्था की गई थी। लेकिन, क्रांतिकारी कदम उठाते हुए प्रदेश के शिक्षा मंत्री इस संदर्भ में प्रयासरत हैं। यदि उनकी योजना मूर्त रूप लेती है तो यह कदम यहां के विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आधार बनेगा।
स्कूलों पर रहेगा एडमिनिस्ट्रेटिव कंट्रोल
मामले में सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी रनबीर सिंह ने बताया कि सरकारी स्कूलों को सीबीएसई के अधीन करने की बात अभी अनौपचारिक है। हालांकि इस मामले में शिक्षा मंत्री ने अपनी रूचि दिखाई है। लेकिन अधिकारिक रूप से अभी सीबीएसई दिल्ली को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव तैयार करने का कार्य सरकार व शासन का है। जिसके बाद वे प्रस्ताव को दिल्ली मुख्यालय भेजेंगे। इस प्रक्रिया को उसके बाद ही अमल में लाया जाएगा। जब दिल्ली मुख्यालय से दिशा निर्देश प्राप्त होंगे। अभी इसे लेकर कुड भी कहना संभव नहीं। प्रस्ताव के बाद ही बोर्ड इसपर विचार करेगा।
कुमाउं रीजन बनाने की तैयारी
प्रदेश में जल्द ही सीबीएसई के दो क्षेत्रीय कार्यालय होंगे। इसे लेकर भी सरकार और बोर्ड के अधिकारियों के बीच बातचीत हुई है। क्षेत्रीय अधिकारी रनबीर सिंह ने बताया कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कुमाऊं क्षेत्र में सीबीएसई का क्षेत्रीय कार्यालय खोलने का भी प्रस्ताव रखा है। यदि सब ठीक रहा तो जल्द ही प्रदेश में सीबीएसई के दो क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित होंगे। ऐसा होने पर इसका सीधा लाभ प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा। दरअसल प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां के स्कूल ही नहीं बल्कि छात्र-छात्राएं को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अभी तक स्कूलों से जुड़े कार्यों के लिए स्कूलों व छात्र-छात्राओं को देहरादून सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। यदि कुमाउं में भी सीबीएसई क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किया जाता है तो दूर दराज के छात्र-छात्राओं और स्कूलों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी।