केंद्र सरकार ने प्रदेश के दो मंत्रियों डॉ. हरक सिंह रावत व सुबोध उनियाल के अलावा तीन मौजूदा भाजपा विधायकों और पिछले साल कांग्रेस से बगावत करने वाले चार अन्य पूर्व विधायकों को केंद्र की ओर से दी जा रही सुरक्षा व्यवस्था समाप्त कर दी है।
केंद्र ने शासन को प्रदेश में विशिष्ट लोगों को दी जा रही सुरक्षा के हिसाब से ही इन्हें सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है। बताते चलें कि, प्रदेश में बीते वर्ष 18 मार्च को बजट सत्र के दौरान तत्कालीन कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा समेत नौ विधायक सरकार के खिलाफ बगावत कर भाजपा में चले गए थे।
इस दौरान प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, विधायक सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, अमृता रावत, शैलारानी रावत, डॉ. शैलेंद्र मोहन सिंघल, उमेश शर्मा काऊ व कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को विशेष सुरक्षा प्रदान की गईं थी, इसके तहत इनकी सुरक्षा में अर्द्धसैनिक बलों के जवान लगाए गए थे।
अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। भाजपा प्रदेश में सरकार बना चुकी है और सभी बागी विधायक भाजपा खेमे हैं। इनमें से दो शैलेंद्र मोहन सिंघल व शैलारानी रावत चुनाव हार गयें, जबकि विजय बहुगुणा व अमृता रावत ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। अब परिस्थितियां सामान्य हो चुकी हैं, लिहाजा केंद्र सरकार ने इन सभी को दी जा रही अर्द्धसैनिक बलों की सुरक्षा वापस लेने का निर्णय लिया है। इनमें दो मंत्रियों के अलावा भाजपा के तीन विधायक शामिल हैं, इसके लिए केंद्र की ओर से शासन को पत्र भेजा गया है।
केंद्र सरकार की ओर से दी जा रही सुरक्षा 22 जुलाई तक ही उपलब्ध रहेगी। इसके बाद इनकी सुरक्षा के लिए उत्तराखंड सरकार अपने स्तर से निर्णय ले, केंद्र के इस पत्र के आधार पर गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को पत्र भेजकर कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत व सुबोध उनियाल की सुरक्षा को लेकर आख्या देने को कहा है। इसके आधार पर ही अब इन्हें यह सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी, हालांकि सूत्रों का कहना है कि दो बागी विधायकों से उनके अनुरोध पर पहले ही सुरक्षा हटा ली गई थी।