गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यानी शुक्रवार की आधी रात को लगने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण 21वीं शताब्दी का सबसे लंबा चंद्रगहण होगा, जो लगभग 103 मिनट तक रहेगा। तारामंडल के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी शैलेन्द्र सिंह डाबी ने बताया कि पिछली सदी में सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण वर्ष 2000 में 16 जुलाई को हुआ था, जो इस बार के पूर्ण चंद्रग्रहण से चार मिनट अधिक लंबा था।
भारत में यह पूर्ण चंद्रग्रहण रात 22.42.48 बजे शुरू होगा और 28 जुलाई की सुबह 5.00.05 बजे खत्म होगा। डाबी ने बताया कि चंद्रग्रहण की अवधि का निर्धारण दो बातों के आधार पर होता है। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के केंद्रों का एक सीधी रेखा में होना और ग्रहण के समय पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी के आधार पर चंद्रग्रहण की अवधि का आंकलन होता है। 27 जुलाई के पूर्ण चंद्रग्रहण इन तीनों खगोलीय पिंडों के केंद्र लगभग एक सीधी रेखा में होंगे।
यह रहेगा चंद्रग्रहण का क्रम
वर्ष 2018 चरण चंद्रमा की स्थिति समय (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम)
27 जुलाई 1 उपछाया क्षेत्र (पेनंब्रा) में चंद्रमा का प्रवेश 22.42.48
27 जुलाई 2 प्रतिछाया क्षेत्र (अंब्रा) में चंद्रमा का प्रवेश 23.53.52
28 जुलाई 3 चंद्रग्रहण के समग्र स्वरूप का आरंभ 00.59.39
28 जुलाई 4 अधिकतम चंद्रग्रहण 01.51.27
28 जुलाई 5 चंद्रग्रहण की समग्रता का अंत 02.43.14
28 जुलाई 6 चंद्रमा का प्रतिछाया क्षेत्र को छोड़ना 03.49.02
28 जुलाई 7 चंद्रमा का उपछाया क्षेत्र को छोड़ना 05.00.05
शनिवार को देर से होगी भस्मार्ती
शुक्रवार को चन्द्रग्रहण रहेगा। यह ग्रहण रात्रि 11.54 से आरंभ होगा तथा मोक्ष रात्रि 3.49 बजे होगा। कुल पर्व 3 घण्टा 55 मिनट का रहेगा ग्रहण काल का सूतक (वेध) दोपहर 3.55 बजे से प्रारम्भ होगा। श्रावण मास होने पर महाकालेश्वर मंदिर के पट रात्रि 3 बजे खोले जाते हैं। परन्तु ग्रहण काल होने के कारण शनिवार, 28 जुलाई को प्रात: भगवान के पट ग्रहण काल समाप्त होने के बाद ही खोले जाएंगे। ग्रहण के मोक्ष के बाद मंदिर की शुद्धि होगी। पश्चात भस्मार्ती पूजन प्रारम्भ होगी।