जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा में चेन लिंक फेंसिंग तकनीक कारगर

0
710
जानवरों

जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा में चेन लिंक फेंसिंग तकनीक कारगर साबित हो रही है। चमोली जिले में कृषि विभाग की ओर से नवाचार गतिविधियों के तहत चेन लिंक फेंसिंग को पॉयलेट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रयोग किया गया। इसके अब अच्छे परिणाम सामने आने लगे है।

जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचाकर किसानों को हर साल लाखों का नुकसान कर रहे हैं। जंगली जानवरों से कृषक परेशान और चिन्तित रहते हैं। कृषकों की इस गंभीर समस्या को देखते हुए वर्ष 2019-20 में कृषि विभाग के माध्यम से जिला योजना के अन्तर्गत नवचार गतिविधियों के रूप में चेन लिंक घेरवाड तकनीक अपनाई गई। न्याय पंचायत बैरांगना के सैकोट, कोटेश्वर तथा दुर्मी गांवों को इस कार्य के लिए पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में चयनित कर प्रयोग किया गया।

मुख्य कृषि अधिकारी राम कुमार दोहरे ने बताया कि इन गांवों में जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए 17.94 लाख रुपये लागत से 1200 मीटर लम्बाई में लगभग 10 हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल की चेन लिंक घेरबाड़ की गई। साथ ही कृषि विभाग की आतमा एवं पीकेवीआई योजना के अन्तर्गत कृषकों को तकनीकी सहयोग दिया गया। यहां पर किसान धान, गेहूं, मंडुवा, सॉवा आदि नगदी फसलों का वैज्ञानिक तरीके से आज सर्वोत्तम उत्पादन कर रहे हैं। इससे किसानों को प्रतिवर्ष 1.50 लाख से दो लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है। जंगली जानवरों से निजात दिलाने के लिए विभाग की इस पहल से किसान बेहद खुश हैं और नकदी फसलों के उत्पादन को लेकर खासे उत्साहित भी हैं। जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए चेन लिंक घेरवाड तकनीक टिकाऊ, सस्ती एवं क्षेत्र विशेष के लिए काफी सुविधाजनक है। इसको देखते हुए किसानों की ओर से अब प्रमुखता इसकी मांग की जाने लगी है।