चमोली के खिलाड़ियों ने जीता स्वर्ण पदक

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गोपेश्वर। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में प्रधानमंत्री के ‘खेलो इंडिया योजना’ के अंतर्गत वाॅक रेस में सुदरवर्ती चमोली जिले की एक बेटी व एक बेटे ने स्वर्ण पदक जीत कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया है। दोनों की इस उपलब्धि से उत्तराखंड का मान तो बढ़ा ही है। खिलाड़ियों के परिजन, कोच तथा विजेता खिलाड़ी कहते है कि प्रधानमंत्री के खेलों इंडिया सोच ने प्रोत्साहन और ताकत का काम किया है। खेलो इंडिया के अंतर्गत पांच किमी की अंडर-17 आयुवर्ग की वाॅक रेस में चमोली जिले के खल्ला मंडल गांव के परमजीत ने 21 मिनट 17 सेकेंड का समय लेकर न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता बल्कि गत वर्ष के पूर्व सयम 21 मिनट 36 सैकेंड के रिकॉर्ड को भी ध्वस्त किया। चमोली जिले की ही गोपेश्वर की मानसी नेगी ने भी अंडर-17 आयु वर्ग में 3 किमी की वाॅक रेस में 14 मिनट 44 सैकेंड का समय लेकर स्वर्ण पदक जीता और पिछले राष्ट्रीय रिकॉर्ड 14 मिनट 46 सेकेंड को भी ध्वस्त किया है। इससे पूर्व भी दोनों ने अलग-अलग स्पर्धाओं में रजत पदक जीते हैं। परमजीत ने वडोदरा और भोपाल में इसी प्रतियोगिता में रजत पदक तथा मानसी भी अपने आयुवर्ग में रजत पदक जीती हैं।

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मानसी के पिता नहीं है, परमजीत के पिता तंग हाल
इन प्रतिभाओं को आगे आने में निसंदेह उनके अंदर छिपी प्रतिभा, साहस और कुछ नया करने और रचने की शक्ति ही है। परमजीत के पिता जगमोहन खल्ला गांव में एक छोटी सी दुकान चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं। कहते है कि बेटी की इच्छा रही कि वह निरंतर दौड़े। परमजीत और उसके पिता इस सफलता का श्रेय कोच गोपाल बिष्ट को देते हैं। कहते है कि हमारे लिए यही द्रोणाचार्य हैं। मानसी के पिता नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व उनका देहावसान हो गया था। मानसी मझोठी गांव की रहने वाली है। गोपेश्वर में अपने परिजनों के साथ रह कर शिक्षा ग्रहण कर रही है। ये भी अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच गोपाल बिष्ट को ही देती है।

खेल और मैदान की सुविधा हो तो और अच्छा प्रदर्शन हो सकता है
दिल्ली से फोन पर बातचीत करते हुए परमजीत और मानसी कहती है कि खेल मैदान अच्छा हो और सुविधा मिले तो और अधिक बेहतरीन प्रदर्शन हो सकता है। स्वर्ण पदक मिलने और राष्ट्रीय रिकार्ड बनाने पर भावुक हो दोनों ने कहा कि आज हम जहां पहुंचे है उसका श्रेय केवल और केवल हमारे कोच गोपाल बिष्ट को ही दिया जाता है। कोच गोपाल बिष्ट कहते है कि इन बच्चों में गजब की प्रतिभा है। बताते चले कि औलंपिक एथलेटिक मनीष रावत को भी प्रारंभिक दौर में गोपाल बिष्ट ने ही प्रोत्साहित किया था।