लॉक डाउनः चाचा की दवा लेने दून गया था बीटेक का छात्र, 43 दिन फंसा रहा

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(चंपावत) मांदली के रहने वाले भगवान सिंह देउपा के लिए लॉक डाउन की कीमत 23 हजार रुपये से ज्यादा रही। ऊपर से परेशानी अलग। चाचा की दवा लेने गए भगवान न दवा ही ला सके और न ही खुद तब घर आ सके। अब 43 दिन से अधिक वक्त गुजरने के बाद लॉक डाउन में रियायत दिए जाने के बाद चंपावत पहुंचे। अभी उन्हें 14 दिन के लिए राहत केंद्र में रखा गया है।
ग्वालियर के बीएसएफ अकेडमी से बीटेक कर रहे भगवान होली के लिए मार्च में चंपावत आए। उनके चाचा राजेंद्र सिंह देउपा मानसिक रूप से बीमार हैं। चाचा की दवा लेने के लिए वे देहरादून गए। इस बीच 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके बाद कोरोना वायरस के खतरे से बचाव के लिए 23 मार्च से लॉक डाउन शुरू हो गया। दवा लेने गए भगवान देहरादून में फंस गए। कुछ दिन इधर-उधर भटकने के बाद उन्होंने अपने परिचितों की मदद से एक कमरा किराये पर ले लिया। दो मई तक वे देहरादून रहे। फिर 4 मई की शाम को अन्य फंसे लोगों के साथ वे बस से चंपावत पहुंचे। अन्य लोगों के साथ उन्हें राहत केंद्र में भेज दिया गया। भगवान सिंह देउपा बताते हैं कि देहरादून में रहने, खाने व अन्य जरूरी खर्च में 23 हजार रुपये खर्च हो गए। धन का इंतजाम उन्होंने अपने परिचितों की मदद से किया। उन्होंने शासन प्रशासन से अपील की है कि अगर हो सके तो उनके नुकसान की भरपाई की जाए।