नई दिल्ली, भले ही आज आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर का नाम घोटाले के लेकर चर्चा में है परन्तु एक दौर में वह दुनिया की शक्तिशाली महिलाओं में शुमार रही हैं।
भारतीय उद्योग जगत और बैंकिंग के क्षेत्र में पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ने वाली चंदा कोचर को फोर्ब्स पत्रिका में दुनिया की सशक्त महिलाओं की सूची में भी शामिल किया गया है, इतना ही नहीं उन्हें पद्म विभूषण से भी नवाजा जा चुका है।
2003 में चंदा कोचर को पांच साल के लिए आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ बनाया गया था, उनके नेतृत्व में बैंक ने कई क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़े हैं, उनके नेतृत्व में ही बैंक ने अपने रिटेल बिजनेस की शुरुआत की।
17 नवंबर, 1961 को राजस्थान के जोधपुर में जन्मीं चंदा कोचर ने अपनी पढ़ाई जयपुर में की, फिर उन्होंने मुंबई के जय हिन्द कॉलेज से आर्ट्स में स्नातक किया। चंदा हमेशा से ही ब्राइट स्टूडेंट रही हैं। मैनेजमेंट स्टडी में उन्होंने शानदार परफॉर्मेन्स किया था।
क्या था विवाद:
चंदा कोचर पर अपने पति को आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। वीडियोकोन समूह को आईसीआईसीआई बैंक ने 3,250 करोड़ रुपये का लोन मुहैया कराया था जिसका 86% यानी 2810 करोड़ रुपये नहीं चुकाया गया।
इस विवाद के चलते चंदा कोचर ने 2018 के अक्टूबर में इस्तीफा दे दिया था। उनपर आरोप था कि उन्होंने कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक एंड ऑयल एंड गैस कंपनी वीडियोकॉन का पक्ष लेते हुए नियमों की अनदेखी कर उन्हें लोन दिया था।
आईसीआईसीआई बैंक ने कहा कि कोचर के इस्तीफे को ‘उनके गलत कृत्य के लिए बर्खास्तगी’ के तौर पर लिया जाएगा और मौजूदा और भविष्य में मिलने वाले सभी फायदे बंद कर दिए जाएंगे चाहे वो बोनस हों, इनक्रीमेंट हों, स्टॉक ऑप्शन हों या मेडिकल बेनेफिट। इतना ही नहीं अप्रैल 2009 से मार्च 2018 तक जो भी बोनस उन्हें दिए गए, उन्हें वापस वसूला जाएगा।
बर्खास्तगी के बाद चंदा कोचर ने कहा,“मैं फैसले से बुरी तरह निराश, आहत और परेशान हूं। मुझे रिपोर्ट की कॉपी तक नहीं दी गई। मैं फिर दोहराती हूं कि बैंक में कर्ज देने का कोई भी फैसला एकतरफा नहीं किया गया।”