इस साल चांगथांग करेगा पर्यटकों का स्वागत

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बदरीनाथ के सफर में भले ही यात्रियों को सड़क के आसपास हिमखंड नजर न आए, लेकिन गंगोत्री धाम की यात्रा के दौरान वे इनका लुत्फ ले सकेंगे। दो वर्ष बाद पर्यटकों का स्वागत इस बार चांगथांग ग्लेशियर करेगा।
बताते चलें कि वर्ष 2015 और 2016 में कम बर्फबारी के कारण यह ग्लेशियर आकार नहीं ले पाया था। एवरेस्ट विजेता विष्णु सेमवाल ने बताया कि वास्तव में चांगथांग ग्लेशियर स्नो है। यह शीतकाल में बर्फ एकत्रित होने कारण अस्तित्व में आता है और मई अंत तक देखने को मिलता है। इस बार हर्षिल क्षेत्र में अच्छी बर्फबारी चांगथांग के लिए मुफीद साबित हुई है। बतादें कि 28 अप्रैल को गंगोत्री मंदिर के कपाट खुलने पर पहुंचने वाले पर्यटक इसका आनन्द ले सकेंगे।
चांगथांग उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर हर्षिल के निकट स्थित है। इस एक किलोमीटर लंबे और दो सौ मीटर चौड़े स्थान पर करीब 25 फुट ऊंचा बर्फ का टीला बन जाता है। हाईवे से लगा होने के कारण यह सड़क से ही स्पष्ट नजर आता है। मार्च में तापमान बढ़ने पर बर्फ पिघलना शुरू होती है और हिमखंड टूटकर सड़क भी बाधित कर देते हैं। मई तक बर्फ पूरी तरह पिघल जाती है। अप्रैल से मई तक यह दृश्य पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहता है। इलाके की सैर कर 25 फरवरी को उत्तरकाशी लौटे बाइकर्स ग्रुप के संचालक तिलक सोनी ने बताया कि इस बार चांगथांग, हर्षिल, झाला, मुखबा और धराली में अच्छी बर्फबारी सैलानियों को रोमांचित करेगी।
वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के हिमनद विशेषज्ञ डॉ. डी.पी. डोभाल के अनुसार हालांकि बदरीनाथ और गंगोत्री क्षेत्र के तापमान में ज्यादा फर्क नहीं है, लेकिन कई बार स्थानीय कारक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। इसकी वजह से क्षेत्र विशेष में ज्यादा बर्फबारी होती है और यह अधिक दिनों तक टिकाऊ भी रहती है।