सूरज को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ छठ पर्व

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रुड़की। उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही शुक्रवार को छठ महापर्व का समापन हो गया। बिना पुरोहित और बिना मंत्र के पूर्वांचल में मनाए जाने वाला यह पर्व शिक्षा नगरी में भी धूमधाम व हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। 24 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू हुए इस महापर्व में गुरुवार शाम श्रद्धालूओं ने डूबते सूरज को अर्घ्य दिया था। शुक्रवार को भी सुबह चार बजे से ही श्रद्धालूओं की भीड़ घाटों पर जमा हो गई।

व्रतियों ने उगते सूरज को अर्घ्य दिया और परिवार के सुख समृद्धि की कामना की। पूर्वांचल में मनाया जाने वाला यह पर्व रुड़की और धर्मनगरी हरिद्वार का भी मुख्य पर्व बन गया है। रुड़की व आस-पास के इलाकों में रहने वाले पूर्वांचल के प्रवासी इसे धूमधाम से मनाते हैं और स्थानीय लोग भी श्रद्धा पूर्वक इसमें सम्मिलित होते हैं।
रुड़की और आस-पास के कस्बों शहरों-हरिद्वार, ऋषिकेश, रानीपुर भेल, बहादराबाद, भगवानपुर आदि कोई इलाका ऐसा नहीं है जहां छठ का आयोजन नहीं हुआ हो। हरिद्वार से लेकर लक्सर तक गंगा नदी के किनारे का कोई इलाका ऐसा नहीं था जहां लोगों ने पूजा नहीं की। यही दृश्य गंगनहर के घाटों में भी दिखाई दिया।