राज्य में नागिरकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन पर सख्त रुख अपनाते हुए एक बार फिर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि विरोध प्रदर्शन की आड़ में उत्पात को कतई भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
बुधवार को मुख्यमंत्री ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम उत्पीड़ित और बेघर लोगों के लिए लाया गया है जिन्हें उनके अपने देश में सम्मान नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि शरणागत को शरण देना, सम्मान देना हमारी संस्कृति रही है और यह कानून भी ऐसा ही है। उन्होंने कहा कि कहा कि एक समुदाय विशेष द्वारा इसका विरोध करने में रुचि दिखाया जाना ठीक नहीं है। जो देश के मुसलमान हैं उनकी नागरिकता छीनी नहीं जा रही है बल्कि यह बेवजह का भ्रम फैलाया जा रहा है। कहा कि ठीक है विरोध करना उनका या सभी का संवैधानिक अधिकार है किन्तु विरोध की आड़ में अगर आप उत्पात करेंगे तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
इस संदर्भ में डीजी (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार का कहना है कि अगर आप नियम सम्मत ढंग से विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं तो करें आपको नहीं रोका जायेगा। लेकिन अगर आप कानून व्यवस्था को खराब करने की कोशिश करेंगे तो आपको बख्शा नहीं जायेगा। अगर कोई प्रशासन से अनुमति लेकर धरना-प्रदर्शन करता है और किसी तरह की भड़काऊ बयानबाजी नहीं की जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। कहा कि सीएए और एनआरसी के विरोध या समर्थन में अब तक होने वाले धरना-प्रदर्शन शांतिपूर्ण ही रहे हैं। वह आशा करते हैं कि आगे भी सब ठीक ही रहेगा।
आज शहर काजी मौलाना अहमद काजमी के आह्वान पर बुलाये गये बंद और प्रदर्शन के दौरान पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था की गयी थी जिससे कि कोई आपत्तिजनक स्थिति पैदा न हो। धरना स्थल पर भी भारी संख्या में पुलिस और पीएसी की तैनाती की गयी है।