कुंभ आरटी-पीसीआर गड़बड़ी से तीरथ सिंह ने झाड़ा पल्ला, कहा मेरे कार्यकाल का नहीं मामला

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आरटी-पीसीआर
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने हरिद्वार कुंभ के दौरान आरटी-पीसीआर घोटाले पर कहा कि यह मेरे कार्यकाल का मामला नहीं है, फिर भी जानकारी मिलते ही जांच के आदेश दिए गए हैं।
गुरुवार को राजधानी स्थित छावनी परिषद कैंट बोर्ड में कोविड अस्पताल के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह मामला उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले का है। मामले की जानकारी मिलते ही तुंरत जांच के आदेश सरकार की ओर से दे दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जिस एजेंसी ने यह कार्य किया है उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी और जो अधिकारी इसमें संलिप्त होगा उसको बख्शा नहीं जाएगा। ​कोरोना टेस्ट के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वालों को सरकार छोड़ने वाली नहीं है। सरकार इस मामले पर गंभीरता के साथ आगे बढ़ रही है। दोषी पाए जाने पर उन पर कार्रवाई होना तय है।
दरअसल, कुंभ मेला के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के एंटीजन कोरोना टेस्ट कराने के लिए राज्य सरकार ने 20 निजी टेस्ट लैबों के साथ अनुबंध किया था। इन्हीं में से एक निजी टेस्ट लैब मैक्स कॉरपोरेट सोसाइटी दिल्ली के कोविड एंटीजन रिपोर्ट्स में फर्जीवाड़ा करने का खुलासा हुआ है। प्राथमिक जांच में पाया गया कि एक ही मोबाइल नंबर और आधार पर कई फर्जी रिपोर्ट जारी की गई हैं।
मामले का खुलासा पंजाब के रहने वाले एक एलआईसी एजेंट के माध्यम से हुआ। पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले विपिन मित्तल ने हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खोल दी। विपिन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है, जिसे सुनते ही वे भौचक्के रह गए। विपिन ने कोई कोरोना जांच नहीं कराई थी। ऐसे में विपिन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद से शिकायत कर दी।
बाद में जांच में पता चला कि हरिद्वार कुंभ में उक्त लैब ने लाखों टेस्ट किए, उनमें तमाम जांच कराने वालों का पता फर्जी है। पड़ताल में सामने आया कि लैब और कंपनी दोनों के पते गलत हैं। कंपनी की साइट पर कंपनी और लैब का जो पता दिया गया है, वहां पर इन नामों से कुछ भी नहीं है। मेला के दौरान जांच करने वाली मैक्स कॉरपोरेट ने कनखल, हरिद्वार, देहरादून, रानीपुर और श्यामपुर क्षेत्र जगहों पर टेस्टिंग की थी।  वेबसाइट पर कंपनी का पता सी-206, सेक्टर-63 नोएडा दिया गया था और लैब का पता दिल्ली में दिया गया था। इन खुलासों के बाद राज्य सरकार हरकत में आई।