त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में अवैध खनन को रोकने के लिये अधिकारियों शनिवार को फिर कमर कसकर काम करने के लिये कहा। उन्होंने इसके लिये जिलाधिकारी, खनन विभाग व परिवहन विभाग को आपसी तालमेल बनाकर काम करने के आदेश दिये। अवैध खनन का कारोबार प्रदेश में बन्द हो इसकी सीधी जिम्मेदारी सीएम ने अधिकारियों पर डाली।
शनिवार को सचिवालय में खनन से सम्बंधित बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि
- खनन से सम्बंधित लाॅटो की ई-टेन्डरिंग में शीघ्रता की जाए। इनमें सभी नये लाॅटो को सम्मिलित किया जाए।
- जिन क्षेत्रों में जीएमवीएन, केएमवीएन व वन निगम द्वारा खनन की कार्यवाही करने में असमर्थता जतायी जा रही है, उन्हें भी ई-टेन्डरिंग की प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
- मच्छली तालाबों के निरीक्षण के साथ ही तालाबों का पिछले 5 साल का विवरण तैयार किया जाये ताकि यह पता चस सके कि इन तालाबों में कितना मच्छली पालन हुआ। ऐसे तालाबों के आस-पास जमा शील्ड को भी ई-टेन्डरिंग से ही निस्तारण किया जाये।
- जमीन समतलीकरण के नाम पर किये जा रहे अवैध खनन पर भी नजर रखी जाए तथा इसमें भी राॅयल्टी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विभिन्न इलाकों में चल रहे स्टोन क्रशर की भी माॅनिटरिंग करने को कहा।
- नदियों में 500 मीटर डाउनस्ट्रीम में कार्य शुरू करने की प्रक्रिया जल्दी शुरू की जाये।
- जो पुल अथवा झूला पुल हार्डराॅक पर नदी की सतह से ऊपर बने है, उनके दोनो तरफ 1 कि.मी. में जमे शील्ड हटाने के लिये अलग से कोई रास्ता निकाला जाए।
- प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों व आॅलवेदर रोड के लिये निर्माण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित हो इसका भी ध्यान रखा जाए, ताकि निर्माण कार्य बाधित न हों।
गौरतलब है कि समय समय पर शासन के स्तर से अवैध खनन को रोकने के लिये आदेश और दिशानिर्देश तो जारी होते हैं लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि फिर भी राज्य के अलग एलग हिस्सों से अवैध खनन की खबरें आना बंद नहीं हो रही हैं। देखना ये होगा कि उत्तराखंड में काली कमाई का सबसे बड़ा ज़रिया बन चुके अवैध खनन पर सरकार और प्रशासन की कथनी और करनी का ये फर्क कब खत्म होगा।