नैनीझील के गिरते स्तर पर बढ़ी चिंता, मांगे सुझाव

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अल्मोड़ा/देहरादून। नैनीझील के गिरते स्तर पर शासन चिंतित है। समस्या का जल्द समाधान करने के लिए अब शासन ने विशेषज्ञों व पर्यावरणविदों से भी सुझाव मांगे हैं। इतना ही नहीं मुख्य सचिव ने शहर में अवैध रूप से वर्षा जल को सीवरेज में डालने वालों को चिन्हित कर कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश भी दिए हैं। करें।

बुधवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने नैनीझील के गिरते जल स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि नैनीझील को कतई सूखने नहीं दिया जायेगा। उन्होंने प्रशासन अकादमी नैनीताल में अधिकारियों एवं पर्यावरणविदों के साथ बैठक करते हुए सुझाव लिए और मुख्य अभियंता सिंचाई डीके पचैरी को निर्देश दिये कि वे शहर में अवैध रूप से वर्षा जल को सीवरेज में डालने वालों को चिन्हित कर कड़ी कार्यवाही करें। साथ ही वर्षाजल को झील में लाने हेतु नालियों की सफाई करायें व नई नालियों के निर्माण हेतु आंगणन प्रस्तुत करें। मुख्य सचिव ने नैनीझील के संरक्षण एवं जलस्तर को बनाए रखने के लिए सूखाताल झील कैचमेंट एरिया से अतिक्रमण हटाया जाएगा। साथ ही अवैध निर्माण पर पूर्ण रोक लगाई जाएगी, जिससे वर्षाकाल में सूखाताल झील से पानी नैनीझील में आ सके। उन्होंने कहा कि नैनीझील के कैचमेंट एरिया ग्रीन बैल्ट में निर्माण कतई होने नहीं दिया जायेगा व कैचमेंट एरिया में जल स्रोतों के संरक्षण हेतु वन विभाग द्वारा वृहद पौधा रोपण कराया जायेगा। उन्होंने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि शहर के जिन घरों का पानी सीवरेज में जाता है उनपर अभियान चलाकर कार्यवाही करें और वर्षा जल को नालियों द्वारा नैनीझील में लाया जाए।
बैठक में मुख्य सचिव ने अमृत योजनान्तर्गत झील संरक्षण कार्यो की समीक्षा के दौेरान पाया कि शहरी विकास में नगरपालिका का 7.27 करोड़ की धनराशि अवमुक्त होनी है। उन्होंने आयुक्त कुमाऊ मंडल चन्द्रशेखर भट्ट से कहा कि वे इस संबंध में अपनी ओर से शासन को पत्र प्रेषित करें ताकि वांछित धनराशि अवमुक्त हो सके। उन्होंने जिलाधिकारी दीपेन्द्र कुमार चौधरी से कहा कि वह सिंचाई, जलनिगम, जलसंस्थान, लोक निर्माण, नगरपालिका द्वारा किये गए झील संरक्षण के कार्यों की समय-समय पर समीक्षा एवं मूल्यांकन करें।
विशेषज्ञों ने दिए सुझाव
बैठक में पर्यावरणविद डा. अजय रावत ने सुझाव देते हुए कहा कि नैनीझील को बचाने को सूखाताल झील एवं उसके कैचमेंट एरिया को पुर्नजीवित करना होगा। विलुप्त एवं बंद नालियों को खोलना होगा जिससे सूखाताल झील में पानी का रूकाव हो सके व धीरे-धीरे रिस कर नैनीझील में लगातार आए। कहा कि नैनीताल के ग्रीन बैल्ट एरिया के साथ ही शहर में गु्रप हाउसिंग एवं बहुमंजिला भवनों के निर्माण पर पूर्ण रोक लगायी जाए। साथ ही नैनीताल में सीसी सड़क निर्माण कार्य बंद करने होंगे ताकि वर्षा जल जमीन के भीतर होते हुए नैनीझील में आ सके। उन्होंने बताया कि नैनीताल में पूर्व में 30 जलस्रोत चिन्हित थे जो अब मात्र 08 रह गए हैं जिनमें निर्माण कार्यो के कारण पानी की कमी हुई।
प्रो. जीएल साह व होटल एसोसियेशन के अध्यक्ष दिनेश साह ने कहा कि नैनीताल शहर के लगभग सभी भवनों के छतों का वर्षा पानी सीवरेज से होते हुये शहर से बाहर चला जाता है व वर्षाकाल में आए दिन सीवरेज ओवरफ्लो होते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी घरों का वर्षा के पानी को नालियो द्वारा नैनीझील में लाया जाए जिससे नैनीझील का 20 प्रतिशत जलस्तर बढ़ेगा। बैठक में निदेशक एटीआई एएस नयाल, मुख्य अभियंता लोक निर्माण बीसी बिनवाल, मुख्य विकास अधिकारी प्रकाश चन्द्र सहित कई अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।